10th November 2025
RANCHI
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने घाटशिला उपचुनाव को लेकर भाजपा पर करारा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता चंपाई सोरेन की प्रेस वार्ता में उनके चेहरे पर साफ हताशा झलक रही थी, क्योंकि घाटशिला की जनता एक बार फिर झामुमो पर भरोसा जताने जा रही है। सुप्रियो ने दावा किया कि 14 नवंबर को झामुमो को प्रचंड जनादेश मिलेगा और पार्टी विजय का प्रमाणपत्र प्राप्त करेगी।
रांची में संवाददाताओं से बातचीत में सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि घाटशिला विधानसभा क्षेत्र के मतदाता इस बार फिर से झामुमो को अवसर देने जा रहे हैं। पिछली बार की तरह इस बार भी जनता का भरोसा दोहराया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह चुनाव केवल एक प्रत्याशी का नहीं, बल्कि झारखंड के अस्तित्व, आदिवासी अस्मिता और विकास की दिशा तय करने वाला चुनाव है।
उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष के सभी उम्मीदवार हताश हैं और आपस में पछता रहे हैं कि चुनाव क्यों लड़ रहे हैं, खासकर भाजपा के नेता। सुप्रियो ने कहा कि घाटशिला की जनता इस चुनाव में शिबू सोरेन जैसे झारखंड आंदोलन के प्रतीक नेताओं को श्रद्धांजलि देने जा रही है।
उन्होंने कहा कि झामुमो सरकार ने इस क्षेत्र में जनजातीय विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज और आईटीआई-पॉलीटेक्निक जैसे शैक्षणिक संस्थानों की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। खनन क्षेत्र होने के कारण यहां माइनिंग इंजीनियरिंग की भी पढ़ाई शुरू करने की योजना है। उन्होंने कहा कि घाटशिला के लोग शिक्षा, रोजगार और पर्यटन के लिए वोट करेंगे।
भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के आने के बाद घाटशिला का एचसीएल कारखाना बंद कर दिया गया, जिससे करीब ढाई लाख लोग बेरोजगार हो गए। उन्होंने कहा कि झामुमो की सरकार दोबारा आने पर खदानें और कारखाने फिर से चालू करवाएगी।
भाषाई और स्थानीयता के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि भाजपा ने घाटशिला और आसपास के इलाकों में बंगला भाषियों को ‘बाहरी’ और ‘बांग्लादेशी’ बताकर सांप्रदायिक विभाजन की राजनीति की। “भाजपा लगातार बंगला भाषियों को मुसलमानों से जोड़कर उन्हें प्रताड़ित कर रही है। जनता इस बार ऐसे सांप्रदायिक एजेंडे के खिलाफ बड़ा जनादेश देने जा रही है,” उन्होंने कहा।
भाजपा प्रत्याशी पर हमला बोलते हुए सुप्रियो ने कहा कि वह बाहरी हैं, जबकि झामुमो प्रत्याशी रामदास दा घाटशिला के खटियानी निवासी हैं और स्थानीय लोगों के बीच गहरी जड़ें रखते हैं।
भाजपा नेता चंपाई सोरेन के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सुप्रियो ने कहा, “चंपाई सोरेन पहले झारखंडी अस्मिता के प्रतीक माने जाते थे, लेकिन अब वह खुद से विरोधाभास में हैं। केवल 11 महीनों में ऐसा क्या बदल गया कि वे झारखंड की मान्यताओं से ही मुंह मोड़ बैठे?” उन्होंने कहा कि चंपाई अब इतने हताश हैं कि सम्मान का अर्थ भी भूल गए हैं—“जिन्हें हमने सम्मान दिया, वे उसी को अपमान मान बैठे।”




