GARHWA
झारखंड के पूर्व मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने राज्य के अनाथ बच्चों को 18 वर्ष की उम्र तक वित्तीय सहायता देने की मांग की है। इस संबंध में उन्होंने झारखंड विधानसभा की महिला एवं बाल विकास समिति की अध्यक्ष और गांडेय विधायक कल्पना सोरेन को मांग पत्र सौंपा।
मांग पत्र में मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि झारखंड के अनाथ बच्चों को पर्याप्त वित्तीय मदद नहीं मिल पा रही है। केंद्र सरकार की अनाथ बच्चों की स्पॉन्सरशिप स्कीम मिशन वात्सल्य योजना का लाभ राज्य में सीमित संख्या में ही पहुंच पा रहा है।
ठाकुर के अनुसार, पूरे राज्य में करीब 45 हजार अनाथ बच्चे हैं, लेकिन इनमें से केवल 8 हजार बच्चों को ही योजना का लाभ मिल रहा है। वहीं गढ़वा जिले के लगभग 900 अनाथ बच्चों में से सिर्फ 65 बच्चे ही इसके दायरे में हैं।
उन्होंने बताया कि वर्तमान योजना के तहत अनाथ बच्चों को ₹4,000 प्रतिमाह सहायता दी जाती है, वह भी केवल तीन वर्षों के लिए। इसका पुनर्मूल्यांकन समय पर नहीं हो पाता, जिसकी वजह से कई बच्चों की सहायता राशि बंद हो जाती है। गढ़वा में ऐसी संख्या 85 से घटकर 65 रह गई है।
ठाकुर ने सुझाव दिया कि यदि इस योजना को राज्य सरकार अपनी निधि से संचालित करे, तो अनाथ बच्चों को तीन वर्षों के बजाय 18 साल की उम्र तक, और अनाथ बालिकाओं को विवाह होने तक या 21 वर्ष तक, नियमित ₹4,000 प्रतिमाह सहायता मिल सकेगी। इसके लिए प्रति माह लगभग 12–15 करोड़ रुपये और वार्षिक लगभग ₹180 करोड़ की आवश्यकता होगी।
उन्होंने कहा कि अनाथ बच्चे समाज के सबसे जरूरतमंद और “वॉइसलेस सेक्शन” का हिस्सा हैं, इसलिए सरकार को अपनी सर्वजन योजना के तहत इस स्पॉन्सरशिप स्कीम को राज्य निधि से आच्छादित कर उनकी दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
अनाथ बच्चों की आर्थिक मदद 18 साल तक बढ़ाने की मांग, मिथिलेश ठाकुर ने कल्पना सोरेन को सौंपा पत्र
Mithilesh Thakur, Kalpana Soren, Extend, Financial Support , Orphaned, Children
Mithilesh Thakur Urges Kalpana Soren to Extend Financial Support for Orphaned Children
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झारखंड के पूर्व मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने राज्य के अनाथ बच्चों को 18 वर्ष की उम्र तक वित्तीय सहायता देने की मांग की है। इस संबंध में उन्होंने झारखंड विधानसभा की महिला एवं बाल विकास समिति की अध्यक्ष और गांडेय विधायक कल्पना सोरेन को मांग पत्र सौंपा।
मांग पत्र में मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि झारखंड के अनाथ बच्चों को पर्याप्त वित्तीय मदद नहीं मिल पा रही है। केंद्र सरकार की अनाथ बच्चों की स्पॉन्सरशिप स्कीम मिशन वात्सल्य योजना का लाभ राज्य में सीमित संख्या में ही पहुंच पा रहा है।
ठाकुर के अनुसार, पूरे राज्य में करीब 45 हजार अनाथ बच्चे हैं, लेकिन इनमें से केवल 8 हजार बच्चों को ही योजना का लाभ मिल रहा है। वहीं गढ़वा जिले के लगभग 900 अनाथ बच्चों में से सिर्फ 65 बच्चे ही इसके दायरे में हैं।
उन्होंने बताया कि वर्तमान योजना के तहत अनाथ बच्चों को ₹4,000 प्रतिमाह सहायता दी जाती है, वह भी केवल तीन वर्षों के लिए। इसका पुनर्मूल्यांकन समय पर नहीं हो पाता, जिसकी वजह से कई बच्चों की सहायता राशि बंद हो जाती है। गढ़वा में ऐसी संख्या 85 से घटकर 65 रह गई है।
ठाकुर ने सुझाव दिया कि यदि इस योजना को राज्य सरकार अपनी निधि से संचालित करे, तो अनाथ बच्चों को तीन वर्षों के बजाय 18 साल की उम्र तक, और अनाथ बालिकाओं को विवाह होने तक या 21 वर्ष तक, नियमित ₹4,000 प्रतिमाह सहायता मिल सकेगी। इसके लिए प्रति माह लगभग 12–15 करोड़ रुपये और वार्षिक लगभग ₹180 करोड़ की आवश्यकता होगी।
उन्होंने कहा कि अनाथ बच्चे समाज के सबसे जरूरतमंद और “वॉइसलेस सेक्शन” का हिस्सा हैं, इसलिए सरकार को अपनी सर्वजन योजना के तहत इस स्पॉन्सरशिप स्कीम को राज्य निधि से आच्छादित कर उनकी दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।

