नई दिल्ली
पंजाब सरकार ने बाढ़ से प्रभावित किसानों को बड़ी राहत देते हुए उनके खेतों में जमा रेत और मिट्टी बेचने की अनुमति दे दी है। सरकार का कहना है कि इस फैसले से किसानों को आर्थिक सहारा मिलेगा और वे अपने नुकसान की भरपाई कर सकेंगे। कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बताया कि किसानों को खेतों में जमा रेत बेचने का अधिकार देने के लिए ‘जिसका खेत, उसकी रेत’ योजना को मंजूरी दी गई है। इसके तहत किसान अपने खेतों से रेत और मिट्टी हटाकर न सिर्फ़ ज़मीन को खेती योग्य बना सकेंगे, बल्कि इसे बेचकर आमदनी भी कर पाएंगे।
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि बाढ़ से तबाह हुई फ़सलों का 20,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवज़ा दिया जाएगा। वहीं, बाढ़ में जान गंवाने वालों के परिजनों को 4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता मिलेगी।
किसानों की पुरानी मांग पूरी
दरअसल, बाढ़ से प्रभावित किसानों की लंबे समय से यह मांग रही थी कि उन्हें खेतों में जमा रेत और मिट्टी बेचने की अनुमति दी जाए। पहले सरकार इसे अवैध खनन मानती थी और किसान मजबूरन रेत को खेत के किनारे ढेर कर देते थे। मुख्यमंत्री ने साफ़ किया कि किसान इस रेत और मिट्टी का निजी इस्तेमाल कर सकते हैं या चाहें तो इसे बेच भी सकते हैं। खनन मंत्री बरिंदर गोयल के मुताबिक़, प्रभावित ज़िलों के डिप्टी कमिश्नर इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेंगे। उन्होंने कहा कि नीति में साफ़ लिखा है कि रेत बेचने का अधिकार उसी किसान को होगा जो ज़मीन पर खेती कर रहा है, चाहे ज़मीन उसकी अपनी हो या ठेके पर ली गई हो।
क्या हैं नियम?
खनन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस नीति में कुछ प्रमुख प्रावधान किए गए हैं—
• रेत हटाने के लिए किसानों को किसी भी पर्यावरण मंज़ूरी की ज़रूरत नहीं होगी।
• अपनी ज़मीन से रेत बेचने के लिए किसी परमिट की आवश्यकता नहीं होगी।
• किसानों से रेत बेचने पर कोई रॉयल्टी नहीं ली जाएगी।
• यह सुविधा सिर्फ़ बाढ़ प्रभावित इलाकों तक सीमित रहेगी।
• रेत हटाने के अलावा कोई अतिरिक्त खुदाई करना अवैध खनन माना जाएगा।
कब तक बेच सकेंगे किसान?
खनन विभाग के डायरेक्टर अभिजीत कपलिश ने बताया कि किसान 31 दिसंबर तक अपने खेतों से रेत हटा और बेच सकेंगे। वहीं, खनन मंत्री बरिंदर गोयल का कहना है कि किसान अगले आदेश तक यह काम कर पाएंगे।




