साहिबगंज
झारखंड और बिहार के बीच सीमांकन का पुराना विवाद एक बार फिर गहरा गया है। क्षेत्र में पहुँची संयुक्त सीमांकन टीम को ग्रामीणों के विरोध और कर्मचारियों के साथ असहमति के कारण वापस लौटना पड़ा। गुरुवार को भी स्थिति जस की तस रही और मापी शुरू ही नहीं हो सकी।
सीमांकन के लिए भेजे गए दोनों जिलों के अंचल कर्मचारी हाईकोर्ट के 2018 के आदेश के अनुसार उसी समय गाड़े गए सीमेंट पिलरों को आधार मानकर मापी आगे बढ़ाना चाहते थे। लेकिन स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि वास्तविक मापी तेलियागढ़ी (साहिबगंज) या पीरपैंती (बिहार) से की जानी चाहिए। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि तीन मौजा—बाबुपुर, बैजनाथपुर और मखमलपुर—के सेंटर से कड़ी गिराने पर 40–40 चैन की जमीन बाबुपुर और मखमलपुर में आती है, जिसे वे अर्सेक्षित भूमि मानते हैं। ग्रामीण इस बिंदु से मापी कराने को तैयार नहीं हैं।
कर्मचारियों का तर्क है कि पूर्व निर्धारित पिलरों से मापी करने पर बिहार के बाबुपुर और बैजनाथपुर तथा झारखंड के मखमलपुर मौजा की सीमा स्पष्ट रूप से निर्धारित हो जाती है। अधिकारियों ने कहा कि अब यह मामला वरीय प्रशासनिक अधिकारियों के स्तर पर उठाया जाएगा और उनकी अनुमति के बाद ही अगला कदम तय होगा।
क्या है पूरा विवाद?
1985 से बाबुपुर, बैजनाथपुर और मखमलपुर (साहिबगंज) के किसानों के बीच सीमांकन को लेकर विवाद चल रहा है। दशकों से सीमांकन न होने के कारण मखमलपुर के किसानों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि दबंगों ने हजारों एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा जमा रखा है और किसान वर्षों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा-लगा कर थक चुके हैं।
2014 में मखमलपुर के किसान मो. मुस्ताक ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें झारखंड और बिहार—दोनों सरकारों को पार्टी बनाया गया था। हाई कोर्ट ने 2018 में दोनों जिलों के उपायुक्तों को सीमांकन का आदेश दिया था। उस समय डीसी संदीप सिंह की देखरेख में टीम ने मापी शुरू भी की, लेकिन बढ़ते विवाद के कारण उसे रोकना पड़ा था।
अब, हाई कोर्ट के नए संज्ञान के बाद संयुक्त टीम एक बार फिर सीमांकन के लिए पहुँची है, लेकिन ग्रामीणों और कर्मचारियों के बीच समझौता नहीं बन पा रहा है।
किसान की पीड़ा
मो. मुस्ताक, जो 2014 में याचिकाकर्ता बने, कहते हैं,
“संयुक्त बिहार के समय से ही इन तीन मौजा का विवाद चल रहा है। झारखंड बनने के बाद भी हालात नहीं बदले। हमारी सौ बीघा से ज्यादा जमीन पर दबंगों ने कब्जा किया हुआ है। हजारों किसान अपनी ही जमीन पर भूखे मरने की स्थिति में हैं। 2018 में आदेश के बाद टीम आई थी, लेकिन काम रुका। अब दोबारा टीम आई है, उम्मीद है कि इस बार न्याय मिलेगा।”

