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नीतीश कुमार की नई सरकार में मुस्लिम प्रतिनिधित्व का पूरा भार एक बार फिर मोहम्मद जमा खान के कंधों पर आ गया है। ऐतिहासिक गांधी मैदान में गुरुवार को हुई शपथ-ग्रहण समारोह में जब नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तो उनकी 26 सदस्यीय कैबिनेट में एकमात्र मुस्लिम मंत्री के रूप में जमा खान का नाम सबसे ज़्यादा सुर्खियों में रहा।
कैमूर जिले की चैनपुर सीट से दूसरी बार जीतकर पहुंचे जमा खान ने इस बार आरजेडी के बृज किशोर बिंद को 8,362 वोटों से हराया। पिछली सरकार में वे अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री भी रह चुके हैं। राजनीतिक सफर की बात करें तो जमा खान पहले बसपा से जुड़े थे और 2020 में हाथी निशान पर पहली जीत हासिल की थी। बाद में वे जेडीयू में शामिल हुए और सीधे नीतीश सरकार के मंत्री बने।
इस बार के चुनाव में एनडीए को कुल 202 सीटें मिलीं, जिनमें जमा खान एकमात्र मुस्लिम विधायक साबित हुए। जेडीयू ने भले ही पांच मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हों, लेकिन भाजपा ने एक को भी टिकट नहीं दिया। इसके बावजूद बिहार विधानसभा में कुल 11 मुस्लिम विधायक पहुंचे हैं, जिनमें से सबसे अधिक पांच जीतें एआईएमआईएम को मिली हैं।
कैबिनेट विस्तार में अन्य चेहरे
भाजपा से सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा, दिलीप जायसवाल, मंगल पांडेय, राम कृपाल यादव, अरुण शंकर प्रसाद, रमा निषाद, नितिन नबीन और सुरेंद्र प्रसाद मेहता ने मंत्री पद की शपथ ली।
जेडीयू से विजय कुमार चौधरी, बिजेंद्र प्रसाद यादव, श्रवण कुमार, अशोक चौधरी, लेशी सिंह, मदन सहनी, सुनील कुमार और मोहम्मद जमा खान शामिल हुए।
इसके अलावा हम के संतोष सुमन और उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को भी मंत्री बनाया गया है।

