रांची
झारखंड में ओबीसी आरक्षण की अनदेखी के खिलाफ रविवार को रांची में ओबीसी समाज की एक बृहद बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में राज्य के 24 जिलों से विभिन्न जातियों के सैकड़ों बुद्धिजीवी, समाजसेवी और प्रतिनिधि शामिल हुए। वक्ताओं ने राज्य सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण की उपेक्षा और सात जिलों में शून्य आरक्षण लागू किए जाने पर गहरा आक्रोश जताया। बैठक में कहा गया कि यह नीति सामाजिक न्याय और समानता की भावना के खिलाफ है, जिसे अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर अब राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।
बैठक की अध्यक्षता शत्रुध्न साहू ने की और संचालन संजय साव ने किया। इस अवसर पर धनबाद के सांसद ढुलू महतो, पांकी के विधायक शशि भूषण मेहता और पूर्व विधायक शिव पूजन मेहता मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
सांसद ढुलू महतो ने अपने संबोधन में कहा, “ओबीसी समाज को उसका हक और अधिकार हर हाल में मिलकर रहेगा। वर्षों से उपेक्षित समाज अब जाग चुका है। अगर सरकार ने जल्द ही ओबीसी आरक्षण लागू नहीं किया तो हम सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करेंगे।”
विधायक शशि भूषण मेहता ने कहा, “राज्य में ओबीसी आरक्षण की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। झारखंड में 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग अब जनआंदोलन का रूप ले चुकी है।”
वहीं पूर्व विधायक शिव पूजन मेहता ने कहा, “ओबीसी समाज एकजुट है। जब-जब अधिकारों पर हमला होगा, तब-तब संघर्ष तेज किया जाएगा। सरकार को चेतावनी दी जाती है कि वह जल्द आरक्षण पर ठोस कदम उठाए, अन्यथा जनसैलाब सड़कों पर उतर आएगा।”
बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया कि आने वाले दिनों में रांची से लेकर प्रखंड और गांव स्तर तक ओबीसी समाज अपने अधिकार की लड़ाई को लेकर जन-जागरण अभियान चलाएगा।
बैठक में राज्य के विभिन्न समुदायों, कुशवाहा, तेली, गोप, केशरी, चंद्रवंशी, बनिया, सुंडी, कुम्हार, अघोरी, अमाअत, बागड़ी, बखो (मुस्लिम), बनपार, बराई, बरहाई (विश्वकर्मा), बारी, बेलदार, राणा — के प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
बैठक के अंत में वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि अब समय आ गया है जब ओबीसी समाज अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए निर्णायक संघर्ष करेगा और सरकार को सामाजिक न्याय की नीति पर अमल करने के लिए मजबूर करेगा।




