चेन्नई
तमिलनाडु की एक लॉजिस्टिक कंपनी विन्ट्रैक इंक (Wintrack Inc) ने भारत में अपने कामकाज को बंद करने की चेतावनी देते हुए चेन्नई के कस्टम विभाग पर रिश्वत मांगने और बार-बार परेशान करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। कंपनी की इस शिकायत को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है और वित्त मंत्रालय ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।
कंपनी के संस्थापक प्रवीण गणेशन ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी पीड़ा जाहिर की थी। उन्होंने बताया कि चेन्नई कस्टम विभाग के कुछ अधिकारियों ने न केवल उनकी कंपनी से, बल्कि उनकी पत्नी की कंपनी के शिपमेंट को क्लियर करने के लिए भी रिश्वत मांगी। उनके मुताबिक, लगातार उत्पीड़न और भ्रष्टाचार के चलते अब कंपनी भारत में कारोबार जारी नहीं रख पाएगी।
सरकार का त्वरित एक्शन
विन्ट्रैक इंक की शिकायत 1 अक्टूबर को सामने आई थी और इसके अगले ही दिन वित्त मंत्रालय ने इस पर कार्रवाई करते हुए राजस्व विभाग (Department of Revenue) को मामले की विस्तृत, निष्पक्ष और तथ्यों पर आधारित जांच करने का निर्देश दिया।
वित्त मंत्रालय ने कहा, “सरकार इस मामले को अत्यंत गंभीरता से ले रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी को जांच के लिए नियुक्त किया गया है, जो संबंधित पक्षों और अधिकारियों की सुनवाई करेंगे और सभी आवश्यक दस्तावेजों व साक्ष्यों की गहराई से जांच करेंगे।”
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की छवि को झटका
एक ओर सरकार ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ावा देने के लिए तमाम सुधारों पर जोर दे रही है, वहीं इस तरह की घटनाएं सरकार की कोशिशों को झटका दे सकती हैं। मंत्रालय ने कहा, “हाल के वर्षों में टैक्सपेयर फ्रेंडली पहल जैसे टैक्सपेयर चार्टर, फेसलेस कस्टम्स प्रक्रिया, और विवाद समाधान के लिए अपीलीय निकायों की स्थापना जैसे कदम उठाए गए हैं। इनका उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और व्यापार के लिए अनुकूल वातावरण बनाना है।”
हालांकि, चेन्नई कस्टम विभाग ने कंपनी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उल्टा विन्ट्रैक इंक पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। बावजूद इसके, सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह कानून के दायरे में उचित और त्वरित कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध है।




