लद्दाख: लेह में हिंसक प्रदर्शन के बाद कर्फ्यू, 50 गिरफ्तार, 4 मौतों के बाद सेना और CRPF की तैनाती

25th September 2025

 

राज्य के दर्जे की मांग पर हिंसा, लेह में कर्फ्यू, 50 से ज्यादा गिरफ्तार, 4 मौतें

लेह (लद्दाख)


राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची के तहत आदिवासी संरक्षण की मांग को लेकर लद्दाख में महीनों से सुलग रहा असंतोष बुधवार को एक भयावह विस्फोट में तब्दील हो गया। लेह में जारी शांतिपूर्ण प्रदर्शन अचानक उग्र हो गया और कुछ ही घंटों में पूरा शहर हिंसा, आगजनी और गोलीबारी की चपेट में आ गया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस भीषण हिंसा में कम से कम चार लोगों की मौत हुई है, जबकि 90 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं, जिनमें 30 से अधिक सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं।

गृह मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए बताया कि दोपहर 11:30 बजे शुरू हुई झड़पों में प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, पुलिस पर पथराव किया और कई सरकारी कार्यालयों में आगजनी की घटनाएं कीं। हालात जब नियंत्रण से बाहर हो गए, तब पुलिस ने पहले लाठीचार्ज और फिर फायरिंग का सहारा लिया। शाम चार बजे तक हालात किसी हद तक नियंत्रण में आए, लेकिन पूरे लेह जिले में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू कर दिया गया। सुरक्षात्मक उपायों के तहत ITBP, CRPF और स्थानीय पुलिस को अलर्ट पर रखा गया है। कर्फ्यू के साथ-साथ कड़ाई से इंटरनेट सेवाओं पर भी रोक लगाई गई है, ताकि अफवाहें न फैलें।

गुरुवार तड़के पुलिस ने भारी छापेमारी की कार्रवाई करते हुए अब तक 50 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें कुछ स्थानीय नेता भी शामिल हैं। पुलिस ने कांग्रेस के पार्षद फुंतसोग स्तांजिन त्सेपग के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की है। हालांकि उनकी गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन भाजपा ने आरोप लगाया है कि त्सेपग हिंसक भीड़ का हिस्सा थे और उन्होंने भीड़ को भड़काने में भूमिका निभाई।

इस पूरे घटनाक्रम में पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक का नाम भी केंद्र में आ गया है। केंद्र सरकार ने उन्हें हिंसा का “मुख्य प्रेरक” करार दिया है। वांगचुक पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर थे और इस दौरान उन्होंने कई बार अपने भाषणों में अरव स्प्रिंग और नेपाल के जन आंदोलनों का जिक्र कर लोगों को सड़कों पर उतरने के लिए प्रेरित किया। गृह मंत्रालय के अनुसार, वांगचुक के भाषणों से भड़की भीड़ प्रदर्शन स्थल से निकलकर सीधे भाजपा कार्यालय और लद्दाख हिल काउंसिल के सचिवालय पर टूट पड़ी। जब हिंसा चरम पर थी, उसी समय वांगचुक ने अचानक अपनी भूख हड़ताल समाप्त करने की घोषणा कर दी।

हिंसा के दौरान लेह में भाजपा कार्यालय को जला दिया गया, वहीं हिल काउंसिल का कार्यालय भी आग की चपेट में आ गया। भाजपा ने कांग्रेस को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि पार्टी हिंसा को राजनीतिक स्वार्थ के लिए उकसा रही है। इस बीच कांग्रेस ने सरकार पर “लोकतांत्रिक आवाजों को दबाने” का आरोप लगाया है।

स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है। लेह और आस-पास के इलाकों में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल तैनात हैं। बाजार, स्कूल, कार्यालय सब कुछ बंद हैं और लोग अपने घरों में सहमे हुए हैं। केंद्र सरकार और उपराज्यपाल ने स्थिति पर नियंत्रण की बात कही है, लेकिन ज़मीनी हालात किसी भी वक्त फिर से बिगड़ सकते हैं।

लद्दाख की यह घटना केवल एक कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं है, बल्कि यह उस गहरे असंतोष का परिणाम है, जिसे लंबे समय से अनदेखा किया जा रहा था। यदि सरकार और आंदोलनकारियों के बीच तत्काल संवाद शुरू नहीं हुआ, तो यह असंतोष भविष्य में और भयानक रूप ले सकता है।

Ads Jharkhand Ads Jharkhand

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *