वॉशिंगटन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इमिग्रेशन पॉलिसी में अब तक का सबसे बड़ा बदलाव करते हुए H-1B वीज़ा की फीस को आसमान पर पहुँचा दिया है। नए नियम के तहत कंपनियों को हर साल स्किल्ड वर्कर्स के लिए $100,000 (करीब 88 लाख रुपये) चुकाने होंगे। अब तक यह फीस सिर्फ $215 (लगभग 18,000 रुपये) थी, यानी सीधी 400 गुना से ज़्यादा बढ़ोतरी। ट्रंप का दावा है कि इस कदम से अमेरिकी नागरिकों के लिए नौकरियां सुरक्षित होंगी। बता दें कि इससे पहले ट्रंप ने भारत पर 50 फीसद टैरिफ लागू किया है।
अमीरों के लिए गोल्ड और प्लैटिनम कार्ड
ट्रंप ने साथ ही ‘गोल्ड कार्ड’ और ‘प्लैटिनम कार्ड’ नाम से नए वीज़ा प्रोग्राम भी लॉन्च किए हैं।
• गोल्ड कार्ड – कीमत $1 मिलियन (8.5 करोड़ रुपये), धारक को अमेरिकी नागरिकता का रास्ता। कंपनियों को कर्मचारी के लिए $2 मिलियन देना होगा।
• प्लैटिनम कार्ड – कीमत $5 मिलियन (42 करोड़ रुपये), धारक को साल में 270 दिन अमेरिका में रहने और विदेश कमाई पर टैक्स से छूट की सुविधा। यह नियम लागू होने के लिए संसद की मंजूरी ज़रूरी है।
भारतीय आईटी सेक्टर पर सीधा असर
H-1B वीज़ा का सबसे अधिक लाभ भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स और कंपनियों — टाटा कंसल्टेंसी, इंफोसिस और विप्रो — को मिलता रहा है। लेकिन फीस की यह बेतहाशा बढ़ोतरी भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिका में कर्मचारियों को भेजना बेहद महंगा बना देगी। इससे न केवल उनके बिज़नेस मॉडल पर असर होगा, बल्कि भारतीय युवाओं के लिए अमेरिकी नौकरी का सपना और दूर हो सकता है।
मिली-जुली प्रतिक्रिया
ट्रंप समर्थक समूहों ने इस फैसले को “अमेरिकी नौकरियों की सुरक्षा” की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया है। वहीं, इमिग्रेशन विशेषज्ञों ने इसे “पूरी तरह गैर-कानूनी और दिखावटी” करार देते हुए कहा कि अदालतें इसे खारिज कर सकती हैं। जानकारों का मानना है कि ट्रंप का यह नया इमिग्रेशन एजेंडा भारतीय प्रोफेशनल्स और टेक कंपनियों के लिए सबसे बड़ा झटका साबित हो सकता है।
ट्रंप ने भारत को दिया एक और झटका, H-1B वीज़ा की फीस 400 गुणा बढ़ाकर 88 लाख किया, US में नौकरी के सपनों पर प्रहार
20th September 2025




