न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को खजुराहो विश्व धरोहर स्थल के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की क्षतिग्रस्त मूर्ति के पुनर्निर्माण की मांग को ठुकरा दिया। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने स्पष्ट किया कि यह विषय न्यायालय का नहीं बल्कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) का अधिकार क्षेत्र है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, सुनवाई के दौरान सीजेआई बी.आर. गवई ने याचिकाकर्ता से कहा—“तुम कहते हो कि भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो, तो जाओ और उनसे ही प्रार्थना करो। यह एक पुरातात्विक स्थल है, जहां किसी भी अनुमति या मरम्मत के लिए एएसआई जिम्मेदार है। माफ करना, हम इसमें दखल नहीं देंगे।”
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि मूर्ति का सिर पूरी तरह जीर्ण-शीर्ण हो चुका है और उसके पुनर्निर्माण की तत्काल जरूरत है। राकेश दलाल की ओर से दायर याचिका में दावा किया गया था कि यह क्षति मुगल आक्रमणों के दौरान हुई थी और कई दशकों से सरकार से मरम्मत की गुहार लगाने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया।
याचिकाकर्ता का पक्ष
याचिका में कहा गया कि क्षतिग्रस्त मूर्ति को वैसा ही छोड़ना श्रद्धालुओं के पूजा-अधिकार का हनन है। इसमें बताया गया कि मंदिर परिसर को लेकर समय-समय पर प्रदर्शन, ज्ञापन और अभियान चलाए गए, लेकिन किसी का कोई असर नहीं हुआ। याचिका में सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट का जवाब भी दर्ज है कि “खजुराहो मंदिरों का संरक्षण पूरी तरह एएसआई की जिम्मेदारी है और क्षतिग्रस्त मूर्ति को नई मूर्ति से बदलना संरक्षण नियमों का उल्लंघन होगा।”




