13th September 2025
13th September 2025
दुबई
दुबई में 14 सितंबर को एशिया कप का सबसे हाई-वोल्टेज मैच खेला जाना है—भारत बनाम पाकिस्तान. क्रिकेटप्रेमियों की नज़रें जहां मैदान पर टिकी हैं, वहीं दिल्ली से मुंबई तक यह मुकाबला राजनीति का बड़ा मुद्दा बन गया है. विपक्ष हालिया पहलगाम आतंकी हमले के बाद सरकार से मैच रद्द करने की मांग कर रहा है. सवाल यह उठ रहा है कि क्या खेल और आतंकवाद को अलग रखा जा सकता है?
सरकार का रुख: “नहीं खेले तो बाहर होना पड़ेगा”
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह किसी द्विपक्षीय सीरीज का हिस्सा नहीं है, बल्कि एशियाई क्रिकेट परिषद (ACC) और आईसीसी द्वारा आयोजित टूर्नामेंट है. ऐसे टूर्नामेंट में सभी टीमों की भागीदारी अनिवार्य होती है.
ठाकुर ने कहा, “अगर हम मैच से हटते हैं, तो हमें टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ेगा और पाकिस्तान को बिना खेले अंक मिल जाएंगे.” उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत की नीति स्पष्ट है—जब तक पाकिस्तान आतंकवाद पर रोक नहीं लगाता, तब तक कोई द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेली जाएगी.
विपक्ष का हमला: “खून और क्रिकेट साथ नहीं”
विपक्षी दल सरकार के तर्क से सहमत नहीं हैं.
- आप नेता संजीव झा ने “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय विधवाओं का मजाक उड़ाने की घटना का हवाला देते हुए कहा, “मोदी जी ने कहा था कि खून और पानी साथ नहीं बह सकते, तो फिर खून और क्रिकेट कैसे साथ चल सकते हैं?”
- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर सीधा प्रधानमंत्री को निशाने पर लिया और पूछा, “आखिर पाकिस्तान के साथ यह मैच क्यों कराया जा रहा है? क्या यह भी किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव का नतीजा है?”
शिवसेना का विरोध: “देशभक्ति का धंधा”
शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी इस मैच का विरोध किया. उन्होंने कहा कि जब हमारे जवान सीमा पर मोर्चा संभाले हुए हैं और “ऑपरेशन सिंदूर” जैसी कार्रवाई चल रही है, तब पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना सही नहीं है. ठाकरे ने इसे “देशभक्ति का धंधा” बताया और जनता से अपील की कि वे इस मैच का बहिष्कार करें.
उद्धव ने अपने पिता बालासाहेब ठाकरे का हवाला देते हुए याद दिलाया कि वे हमेशा भारत-पाक मैचों के खिलाफ खड़े रहे थे.




