पारसनाथ पहाड़ को बचाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन करेगा मरांग बुरू बचाओ संघर्ष मोर्चा

31st July 2025

मधुबन (गिरिडीह)
मरांग बुरू बचाओ संघर्ष मोर्चा की कोर कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक मरांग बुरू फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष रामलाल मुर्मू की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक का संचालन बिष्णु किस्कु ने किया। इसमें पारसनाथ पहाड़ को बचाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन का निर्णय लिया गया। इसके लिए मोर्चा की केंद्रीय समिति का गठन किया गया, जिसमें फागू बेसरा को अध्यक्ष और हीरालाल मांझी को महासचिव के पद पर मनोनीत किया गया। उपाध्यक्ष पद पर रामलाल मुर्मू, उड़ीसा के पूर्व सांसद रामचंद्र हंसदा, जसाई मार्डी (टीएसी सदस्य), और कोषाध्यक्ष सोमाय टुडू नियुक्त हुए। सचिव बिष्णु किस्कु, महावीर मुर्मू, सोनाराम हेम्ब्रोम, एतो वास्के, रमेश टुडू, तथा मुख्य प्रवक्ता दुर्गा चरण मुर्मू बनाए गए। मीडिया प्रबंधन और जन संपर्क की जिम्मेदारी सुरेंद्र सोरेन को सौंपी गई। कुल 51 सदस्यों वाली समिति गठित की गई है।

संघर्ष के उद्देश्य और योजनाएं:
मरांग बुरू बचाओ संघर्ष मोर्चा पारसनाथ पर्वत में हो रहे अतिक्रमण के खिलाफ और आदिवासियों के प्रथागत, धार्मिक, सांस्कृतिक तथा वैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन छेड़ेगा। मोर्चा ने जैन समुदाय द्वारा की जा रही कथित गहरी साजिशों का पर्दाफाश करने की भी बात कही है। मधुबन और पारसनाथ गांवों में सरकारी और वन भूमि पर फर्जी दस्तावेज बनाकर ज़मीन पर कब्जा किए जाने की जांच की मांग की गई है।

वन और सरकारी भूमि पर मठ-मंदिर और कंक्रीट के भवनों के निर्माण के कारण पर्यावरण को हुए नुकसान, वृक्षों की कटाई समेत अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए संघर्ष को तेज किया जाएगा। दो महत्वपूर्ण धार्मिक-सांस्कृतिक महोत्सव—दिशोम बाहा परब बोंगा बुरू महोत्सव और धार्मिक शिकार सेन्दरा एवं लॉ-बीर बैसी—मरांग बुरू पारसनाथ पर्वत में धूमधाम से मनाए जाएंगे।

बैठक में पारित आठ प्रस्ताव:

  1. पारसनाथ पर्वत का प्राचीन नाम मरांग बुरू है और यह संथाल आदिवासियों का पवित्र धार्मिक स्थल है। स्थानीय प्रथागत अधिकार और धार्मिक अनुष्ठानों को संविधान, कोर्टों एवं उच्च न्यायालयों ने मान्यता दी है। झारखण्ड सरकार से इसे राजकीय महोत्सव घोषित करने की मांग है।
  2. जैन समुदाय के पक्ष में पारसनाथ पर्वत को धार्मिक स्थल घोषित करने वाली अधिसूचनाओं को भारत सरकार एवं झारखण्ड सरकार से रद्द करने की मांग की गई है, क्योंकि यह आदिवासियों के अधिकारों का उल्लंघन है।
  3. अनुसूचित जनजाति एवं वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत ग्राम सभा को मरांग बुरू के संरक्षण और प्रबंधन की जिम्मेदारी दी जाए।
  4. जैन समुदाय द्वारा की गई अवैध अतिक्रमण की जांच कर उसे हटाने तथा कानूनी कार्रवाई की मांग।
  5. आदिवासी धार्मिक स्थलों की रक्षा के लिए राज्य सरकार से विशेष संरक्षण अधिनियम बनाने की मांग।
  6. पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने वाली अधिसूचना को ग्राम सभा की सहमति के बिना असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द करने की मांग।
  7. मरांग बुरू के धार्मिक महोत्सवों को राज्य स्तरीय घोषित करने की मांग।
  8. पूर्व अध्यक्ष स्व० अजय टुडू की हत्या की सीबीआई जांच की मांग, क्योंकि उनकी हत्या आदिवासियों के अधिकारों की आवाज दबाने के लिए जैन समुदाय द्वारा की गई साजिश हो सकती है।

संघर्ष फंड के लिए अपील:
मोर्चा ने सभी से आग्रह किया है कि वे अपने आय का एक प्रतिशत हिस्सा संघर्ष फंड में दान करें। महासचिव हीरालाल मांझी ने स्वयं संघर्ष फंड में एक लाख एक रुपये का दान दिया है। देश के सभी आदिवासी सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संगठन इस लड़ाई में शामिल किए जाएंगे।

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