मुंबई
टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा का 86 साल की उम्र में बुधवार रात को निधन हो गया. उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली. उनका पार्थिव शरीर मुंबई के NCPA ग्राउंड में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, जहां भारी तादाद में लोग उन्हें श्रद्धांजलि दी. नेताओं से लेकर अभिनेता, खिलाड़ी और आम लोगों तक उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे. उद्धव ठाकरे, शरद पवार, सुप्रिया सुले, राज ठाकरे से लेकर कुमार मंगलम बिड़ला और रवि शास्त्री ने एनसीपीए ग्राउंड पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. अब रतन टाटा पंचतत्व में विलीन हो गए हैं. मशहूर बिजनेसमैन रतन टाटा का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ मुंबई के वर्ली श्मशान पर किया गया.
दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का अंतिम संस्कार मुंबई के वर्ली श्मशान भूमि में संपन्न हो गया है। रतन टाटा का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। उनकी अंतिम यात्रा में गृह मंत्री अमित शाह के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों के कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
एक नज़र ….. टाटा समूह के साम्राज्य पर
टाटा समूह 30 कंपनियों का एक कारोबारी समूह है। समूह की स्थापना 1868 में उद्यमी जमशेदजी नुसरवानजी टाटा ने एक निजी व्यापारिक फर्म के रूप में की थी। आज यह समूह ऑटोमोबाइल, रसायन, उपभोक्ता उत्पाद, ऊर्जा, इंजीनियरिंग, वित्तीय सेवाएं, सूचना प्रणाली, सामग्री और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में काम करता है। टाटा का कारोबार 6 महाद्वीपों के 100 से अधिक देशों में है और 20वीं शताब्दी की शुरुआत से भारतीय उद्योग में इस समूह ने खुद को अग्रणी बनाए रखा है। कपड़ा निर्माण, लोहा और इस्पात और पनबिजली में आने से पहले समूह ने शुरुआती तौर पर कच्चे माल के व्यापार के जरिए से 19वीं शताब्दी के अंत में कमाई की थी। बाद में इसने रसायन, विमानन, ऑटोमोबाइल और अंततः सूचना प्रौद्योगिकी और सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में विस्तार किया।
चार बार प्रेम हुआ
रतन टाटा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें 4 बार प्यार हुआ था, लेकिन शादी की मंजिल तक नहीं पहुंच सके।
जब उनसे इंटरव्यू में उनकी निजी जीवन के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने बताया था कि उनका पहला प्यार अमेरिका में हुआ था। उस समय वे लॉस एंजिल्स में आर्किटेक्चर फर्म में काम करते थे। उन्होंने वहां एक लड़की से मुलाकात की और दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते थे। लेकिन लड़की ने भारत आने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उनकी दादी बीमार हो गईं और वे भारत आ गए। उन्हें लगा था कि उनके भारत आने के बाद उनकी प्रेमिका भी उनके प्यार में भारत चलने के लिए तैयार हो जाएगी, लेकिन 1962 में भारत-चीन युद्ध शुरू हो गया और वह नहीं आई। इसके बाद टाटा उस लड़की से अलग हो गए।
इसके बाद आगे उन्होंने बताया था कि उन्हें 4 बार प्यार हुआ था। लेकिन चारों बार कुछ ना कुछ कराण से उनकी शादी नहीं हो पाई। रतन टाटा ने कहा था कि अगर उन्हें ऐसा कोई सही शख़्स मिलता तो वे शादी कर लेते चाहे उम्र कुछ भी हो। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उन्होंने अपना जीवन अकेले ही बिताया।




