विश्वकर्मा पूजा पर पिंक ऑटो चलानेवाली महिलाओं ने की विशेष पूजा, कहा– यही हमारा सहारा और रोजगार

17th September 2025

रांची
घर और बाहर दोनों की जिम्मेदारियों को एकसाथ निभाना किसी भी महिला के लिए आसान नहीं होता। बच्चों की देखभाल, परिवार की ज़रूरतें और फिर रोज़गार की तलाश—यह सब उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है। राजधानी रांची की पिंक ऑटो ड्राइवर महिलाएं इसी संघर्ष और आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रही हैं।

विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर बुधवार को इन महिला ड्राइवरों ने अपने-अपने ऑटो की विशेष पूजा-अर्चना की। उनका कहना था कि यही वाहन उनका सहारा हैं और इन्हीं से रोज़गार मिलता है, इसलिए इस दिन इनका सम्मान करना बेहद ज़रूरी है।

संघर्ष से मिली पहचान

इन महिलाओं में कई ऐसी हैं जिन्होंने पति को खोने के बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ली। शुरुआत में समाज की सोच और तानों ने राह रोकी, लेकिन हिम्मत और मेहनत ने उन्हें आगे बढ़ाया। सुमन जैसी ड्राइवर अब “ऑटो वाली दीदी” के नाम से जानी जाती हैं और गर्व से परिवार की जिम्मेदारी निभा रही हैं।

ड्राइवर रीना बताती हैं कि ऑटो चलाना सिर्फ आमदनी का ज़रिया नहीं है, बल्कि स्वतंत्रता का एहसास भी देता है। महिलाएं रोज़ाना औसतन 800 से 1000 रुपये तक कमा लेती हैं। कई महिलाओं ने अपना ऑटो खरीद लिया है, जबकि कुछ किराए पर चलाती हैं। शुरुआत में 40 से अधिक पिंक ऑटो सड़कों पर दौड़ते थे, जो अब घटकर 22 रह गए हैं।

नई राहें और नई चुनौतियां

कुछ महिलाओं को बड़ी कंपनियों ने डंपर चलाने के लिए हायर किया है, जहां उन्हें अच्छी सैलरी और स्थायी रोजगार मिला है। हालांकि ऑटो चलाने वाली महिलाओं के सामने कई समस्याएं भी हैं। उनका कहना है कि स्टैंड पर शौचालय की व्यवस्था नहीं है, जिसके लिए बार-बार आवेदन देने के बावजूद कोई पहल नहीं हुई। साथ ही सरकारी योजनाओं का लाभ भी इन्हें पूरी तरह नहीं मिल पाया है—न तो स्थायी आवास है और न ही कई महिलाओं के पास राशन कार्ड।

महिला यात्रियों की पहली पसंद

रांची के अलग-अलग रूटों पर चलने वाले पिंक ऑटो आज महिला यात्रियों की पहली पसंद बन गए हैं। यात्रियों का कहना है कि इनमें यात्रा करना सुरक्षित लगता है और असुविधा की चिंता नहीं रहती। महिला यात्रियों ने भी इन ड्राइवरों के हौसले को सलाम किया और कहा कि हालात ने इन्हें मजबूर ज़रूर किया, लेकिन मेहनत और लगन से इन्होंने समाज को नई दिशा दी है।

निस्संदेह, ये महिलाएं इस बात की जीवंत मिसाल हैं कि हिम्मत और आत्मनिर्भरता से कोई भी मुश्किल पार की जा सकती है।

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