NIA को कहां मिला डॉ. उमर का फोन, क्या-क्या हुआ अब तक; पढ़ें खास रपट  

19th November 2025

CENTRAL DESK

दिल्ली में लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए धमाके की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, मामले से जुड़े नए खुलासे लगातार सामने आ रहे हैं। ताजा जानकारी  लाल किले के हमलावर डॉ. उमर नबी के सामने आये वीडियो के बारे में है. जिसमें वह आत्मघाती हमले को शहादत अभियानकह रहा है। अब जांच अधिकारियों के हवाले से अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है कि यह वीडियो उसके अपने मोबाइल फोन से मिला है।

सूत्रों के मुताबिक, उमर ने यह फोन अपने छोटे भाई को दे दिया था। पुलिस ने छोटे भाई को लाल किले हमले की रात पुलवामा में उसके घर से पकड़ा था। बड़ा भाई भी हिरासत में है। एक अधिकारी ने कहा कि छोटे भाई ने उमर के कहने पर फोन फेंक दिया था। पूछताछ में उसने माना कि फोन उसी को दिया गया था।

छोटे भाई ने पुलिस को उस नाले तक ले गया, जहां उसने फोन फेंका था। एक अधिकारी ने कहा कि काफी कोशिश के बाद फोन मिल गया। फोन मिलने के बाद पुलिस ने उसका डेटा निकाला। अधिकारियों के अनुसार, फोन से चार वीडियो मिले। एक वीडियो वही है जो अब सार्वजनिक है। सभी वीडियो NIA और SIA को भेज दिए गए हैं।

जांचकर्ताओं ने बताया कि उमर के साथी डॉक्टरों ने पूछताछ में कहा है कि उमर इस पूरे जैश मॉड्यूल में सबसे ज्यादा कट्टर था। वह अक्सर आत्मघाती हमले की बात करता था। उमर के साथ इस मॉड्यूल में उसके अल-फलाह यूनिवर्सिटी के साथी डॉ. मुज़म्मिल अहमद गनई, सहारनपुर के एक निजी अस्पताल में काम करने वाले डॉ. अदील माजिद राठर, और लखनऊ के रहने वाले डॉ. शाहीन शाहिद अंसारी शामिल हैं।

गिरफ्तार तीनों डॉक्टरों ने कहा है कि उन्होंने किसी हमले का लक्ष्य तय नहीं किया था। न ही कोई तारीख चुनी थी। उनका कहना है कि मॉड्यूल के पकड़े जाने के बाद उमर भाग गया और जल्दबाजी में ये हरकत कर बैठा।

मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि दिल्ली कार ब्लास्ट में खुद को उड़ाने वाला आतंकी डॉ. उमर मोहम्मद हमले से करीब 2 हफ्ते पहले पुलवामा के कोइल गांव में अपने घर गया था। उमर ने अपने दो मोबाइल फोन में से एक अपने भाई जहूर इलाही को दिया और कहा कि अगर मेरे कोई खबर आए तो फोन पानी में फेंक देना।

जांच कर रही टीम के दिल्ली से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक इस तरीके के करीब 70 वीडियो इंटरसेप्ट किए गए हैं, जिनमें से 12 वीडियो में डॉ. उमर के द्वारा शूट किए गए हैं। ये वीडियो उन शिक्षित युवाओं को भेजा जाता था, जिन्हें वह सुसाइड बॉम्बर बनाने के लिए टारगेट पर रखा हुआ था।

एजेंसियों का दावा है कि डॉ. नबी अपने जैसे और भी सुसाइडल बॉम्बर तैयार करने की कोशिश में था। वह लगातार ब्रेनवॉश करने के लिए वीडियो बनाकर शेयर करता था, जिससे यूथ का ब्रेन वॉश हो। NIA सूत्रों के मुताबिक पकड़े गए आरोपियों के मोबाइल खंगाले गए तो डॉ. उमर का वीडियो सामने आया। इस तरह के वीडियो 11 लोगों के भेजे गए थे। जिनमें से 7 युवा कश्मीरी मूल के थे और किसी न किसी तरह उन सभी का लिंक अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ा है। बाकी 4 लोग उत्तर प्रदेश, केरल व कर्नाटक के बताए जा रहे हैं।

कश्मीर के जिस आमिर रशीद अली ने उसे I -20 कार दिलवाई थी, उसने सुसाइड बॉम्बर बनने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उसे इस तरह के वीडियो भेजे गए। डॉ. उमर नबी के वायरल वीडियो की जांच में पता चला है कि वह सुसाइड बॉम्बर के रूप में अकेला फिदायीन नहीं बनना चाहता था। बल्कि सुसाइड बॉम्बर की एक पूरी टीम तैयार कर रहा था।

डॉ. उमर के वीडियो की टोन को लेकर भी NIA को शक है। डॉ. उमर की इंग्लिश फ्लूएंट तो है, लेकिन उसमें आर्टिफिशियल टोन नजर आ रही है। यह न तो भारतीय और न ही अमेरिकी व ब्रिटिश की लग रही। NIA की साइबर और लैंग्वेज फोरेंसिक टीम इसकी जांच कर रही है कि इंग्लिश का यह खास लहजा कहां सिखाया जाता है। NIA ने मिलिट्री इंटेलिजेंस से भी इस लहजे की पहचान के लिए जानकारी मांगी है।

जानकारी के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर पुलिस की काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट ने बुधवार को जम्मू के हाई-सिक्योरिटी कोट भलवाल जेल में बड़ी छापेमारी की।अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई अभी भी जारी है और इसका मकसद जेल के अंदर से चल रहे संभावित आतंकी नेटवर्क का खुलासा करना है।

कोट भलवाल सेंट्रल जेल में पाकिस्तानी और स्थानीय कुख्यात आतंकियों के साथ-साथ कई गंभीर अपराधी भी बंद हैं। इसी वजह से सुरक्षा एजेंसियां समय-समय पर यहां निगरानी बढ़ाती हैं। अधिकारियों के अनुसार, हाल ही में मिले इनपुट्स के बाद पुलिस टीम ने आज तड़के ही ऑपरेशन शुरू किया।

जांच एजेंसियों को शक है कि जेल के अंदर से कुछ कैदी आतंकी मॉड्यूल से जुड़े लोगों को निर्देश दे रहे थे। इसी संदर्भ में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, संदिग्ध दस्तावेज और संपर्कों की जानकारी जुटाई जा रही है।

इससे पहले मंगलवार को मंगलवार को ED ने फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े ठिकानों पर मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर रेड की। सर्च में 9 शेल कंपनियों का पता चला है, जो एक ही पते पर रजिस्टर्ड थीं। इनके प्रमोटर्स भी एक हीं हैं। टीम ने चेयरमैन जवाद सिद्दीकी को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें 13 दिन के रिमांड पर लिया गया है।

डॉ. उमर ने दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुंडई i20 कार में आत्मघाती धमाका किया था। इससे 15 लोगों की मौत हुई थी और 20 से ज्यादा घायल हुए थे। मामले में अब तक 8 लोगों की गिरफ्तारी हुई है, इसमें से 5 डॉक्टर है। अधिकारियों का कहना है कि छापेमारी खत्म होने के बाद बरामद सामान और मिले सुरागों के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

इस बीच दिल्ली की एक अदालत ने अल-फला ग्रुप के चेयरमैन जवाद सिद्दीकी को 13 दिन की ED कस्टडी में भेज दिया है। अदालत ने अपने विस्तृत आदेश में कहा कि ऐसे उचित आधार मौजूद हैं, जो बताते हैं कि सिद्दीकी बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, फर्जी मान्यता (एक्रेडिटेशन) और अल-फला यूनिवर्सिटी से जुड़े फंड की हेराफेरी में मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर अपराध में शामिल रहे हैं। उन्हें 18 नवंबर की देर रात PMLA की धारा 19 का पालन करते हुए गिरफ्तार किया गया।

आदेश अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शीतल चौधरी प्रधान ने अपने कैम्प ऑफिस में रात में जारी किया। ED ने अदालत को बताया कि जांच शुरुआती चरण में है और उनके पास धोखाधड़ी, गलत बयानबाजी और अपराध की आय के स्थानांतरण से जुड़े ठोस सबूत हैं। एजेंसी ने कस्टोडियल पूछताछ की मांग करते हुए कहा कि अगर सिद्दीकी को हिरासत में न लिया गया, तो वे गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं या डिजिटल व वित्तीय रिकॉर्ड नष्ट करवा सकते हैं।

हमले की जांच में सोमवार रात एक और बड़ा खुलासा हुआ कि यह वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल पहले हमास की तरह ड्रोन और रॉकेट से हमला करने की योजना बना रहा था। NIA को यह जानकारी उमर के सहयोगी जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश की गिरफ्तारी के बाद मिली। दानिश, जो अनंतनाग के काजीगुंड का रहने वाला है, छोटे ड्रोन और हथियार मॉडिफाई करने में तकनीकी तौर पर कुशल है।

उसने उमर को तकनीकी सपोर्ट दिया और भीड़भाड़ वाले इलाकों में ड्रोन से विस्फोटक गिराने की योजना पर काम कर रहा था, ताकि अधिक से अधिक जनहानि की जा सके। NIA ने उसे कुछ दिन पहले श्रीनगर से हिरासत में लेकर सोमवार को औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया, जबकि धमाके में अहम भूमिका निभाने वाले पंपोर के आमिर राशिद अली को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 10 दिन की NIA कस्टडी में भेज दिया है। आमिर वही व्यक्ति है जो उमर से आखिरी बार संपर्क में था, और धमाके में इस्तेमाल कार उसी के नाम पर रजिस्टर्ड थी।

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