गुमला। आदिवासियों के गढ़ गुमला में ‘जमीन बचाओ’ आंदोलन को जेएलकेएम केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष और आंदोलनकारी नेता देवेन्द्र नाथ महतो ने नेतृत्व किया। रैयत प्रतिनिधिमंडल और गुमला उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित के साथ सकारात्मक वार्ता के बाद आंदोलन को अस्थायी रूप से स्थगित किया गया।
मौके पर देवेन्द्र नाथ महतो ने कहा कि गुमला से घाघरा तक भारत माला परियोजना के तहत एनएच-43 सड़क का चौड़ीकरण ग्राम सभा की सहमति के बिना आदिवासियों की उपजाऊ जमीन पर दबाव डाल रहा है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के गजट संख्या 3831 (25 अगस्त 2022) के अनुसार एनएच-43 का चौड़ीकरण खोरा गांव से गुमला बाईपास होते हुए करौंदी, जोराम, सिलम, अंबाटोली, खटखोर, भलमंडा, कुलमुंड, रायडीह, कुरूछत्तीरपुर जैसे गांवों से होकर छत्तीसगढ़ सीमा तक जाना था।
देवेन्द्र नाथ ने आरोप लगाया कि स्थानीय राजस्व अधिकारी, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और निर्माण कंपनी ने अपने निजी स्वार्थ के कारण तय मार्ग छोड़कर डायवर्ट कर दिया, जिससे 19 मौजा की हजारों एकड़ बहु-फसलीय जमीन प्रभावित हो रही है। इससे ग्रामीण आक्रोशित हैं और आंदोलन के लिए बाध्य हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि गुमला जिला अनुसूचित क्षेत्र है और बिना पारंपरिक ग्राम सभा की अनुमति कोई भी विकास कार्य नहीं किया जा सकता। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2015 का पालन नहीं किया गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि गजट के अनुसार सड़क चौड़ीकरण नहीं किया गया तो आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा, “जमीन बचाने की यह आर-पार की लड़ाई है। जान देंगे, लेकिन आदिवासियों का एक इंच जमीन गलत तरीके से नहीं लूटा जाएगा।”
गुमला डीसी प्रेरणा दीक्षित ने आंदोलनकारियों को आश्वस्त किया कि एनएच-43 में सड़क चौड़ीकरण की मांग को उच्च अधिकारियों को लिखित रूप में भेजा जाएगा।
आंदोलन के मौके पर जेएलकेएम के केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष देवेन्द्र नाथ महतो के साथ महासचिव पंचम एक्का, युवा मोर्चा के शनि संदीप तिग्गा, जिला सचिव सलीन्द्र उरांव, प्रदेश सचिव अनूप फ्रांसिस कुजूर, जिला महासचिव विनय कुमार, मीडिया प्रभारी राजेश कुमार साहू, और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद थे। इसके अलावा हजारों ग्रामीणों ने भी इसमें हिस्सा लिया।




