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राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) प्रमुख और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के पुत्र दीपक प्रकाश पहली बार मंत्री पद पर पहुंचे हैं—वह भी बिना चुनाव लड़े। लगभग 37 वर्षीय दीपक को रालोमो कोटे से मंत्रिमंडल में स्थान मिला है। इंजीनियरिंग का बैकग्राउंड रखने वाले दीपक मूल रूप से महनार प्रखंड के नारायणपुर डेढ़पुरा पंचायत के जावज गांव के निवासी हैं।
दीपक का जन्म 22 अक्टूबर 1989 को हुआ। उनकी शुरुआती पढ़ाई पटना में हुई, जहां उन्होंने 2005 में आइसीएसई से 10वीं और 2007 में सीबीएसई से 12वीं की परीक्षा पास की। इसके बाद मणिपाल के एमआईटी से कंप्यूटर साइंस में बीटेक (2011) पूरा किया। वे 2011 से 2013 तक सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहे और बाद में निजी व्यवसाय से जुड़ गए।
राजनीति में उनकी सक्रिय एंट्री 2019-20 के दौरान हुई, जब वे अपने पिता के राजनीतिक और संगठनात्मक कार्यों में नियमित रूप से शामिल होने लगे। युवाओं के मुद्दों और पार्टी की नीतियों से जुड़ते हुए उन्होंने धीरे-धीरे अपना राजनीतिक दायरा बढ़ाया।
दीपक ऐसे परिवार से आते हैं जिसकी राजनीतिक और सामाजिक जमीन काफी मजबूत है। उनके दादा, स्वर्गीय मुनेश्वर सिंह, प्रसिद्ध समाजसेवी और कारोबारी थे और जंदाहा के अरनिया में समता कॉलेज की स्थापना में उनका बड़ा योगदान रहा। इसी सम्मान में कॉलेज का नाम उनके नाम पर रखा गया।
दीपक की दादी का नाम मुनेश्वरी देवी है। उनके पिता उपेंद्र कुशवाहा न सिर्फ एक अनुभवी नेता हैं, बल्कि समता कॉलेज, जंदाहा में प्रोफेसर भी रहे। वे वर्ष 2000 में जंदाहा से विधायक बने और 2000 से 2005 तक नेता प्रतिपक्ष रहे। बाद में वे राज्यसभा, विधान परिषद और फिर 2014 में काराकाट से सांसद बने, साथ ही केंद्र सरकार में मानव संसाधन राज्य मंत्री भी रहे। वर्तमान में वे राज्यसभा सांसद हैं।
वहीं दीपक की मां स्नेहलता कुशवाहा इस बार सासाराम से विधायक चुनी गई हैं। ऐसे सशक्त राजनीतिक माहौल से आने वाले दीपक प्रकाश के मंत्री बनने को लेकर क्षेत्र में उत्साह और चर्चाओं का माहौल है।

