NEW DELHI
इंडिया अलायंस की अहम बैठक सोमवार को संसद भवन परिसर के कार्यालय में हुई, लेकिन तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) इसमें शामिल नहीं हुई। कांग्रेस ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर शीतकालीन सत्र के लिए संयुक्त रणनीति बनाने के उद्देश्य से यह बैठक बुलाई थी। राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव और अन्य दलों के प्रतिनिधि बैठक में उपस्थित रहे, लेकिन टीएमसी की गैरमौजूदगी ने विपक्षी एकता पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी के खिलाफ ताल ठोकने की तैयारी में है। ऐसे माहौल में टीएमसी दिल्ली में किसी साझा मंच पर कांग्रेस के साथ खड़े होने से परहेज़ कर रही है। जानकारों का कहना है कि जैसे ही तृणमूल अपने क्षेत्रीय हितों को प्रभावित होते देखती है, वह ‘एकला चलो’ की राह पकड़ लेती है।
उधर, पश्चिम बंगाल में लागू SIR को लेकर टीएमसी अपना विरोध तेज कर चुकी है, बावजूद इसके प्रशासनिक प्रक्रिया जारी है। एसआईआर के खिलाफ जनमत मजबूत करने के लिए ममता बनर्जी अब लगातार बड़े स्तर की रैलियां करने वाली हैं। जानकारी के अनुसार, ममता 3 और 4 दिसंबर को मालदा और मुर्शिदाबाद में दो विशाल रैलियों को संबोधित करेंगी, जबकि 9 दिसंबर को कूच बिहार में उनकी अगली रैली होने वाली है।
बीते सप्ताह ममता बनर्जी ने बोनगांव—जो मतुआ समुदाय का प्रभाव वाला क्षेत्र है—में SIR के खिलाफ बड़ी रैली की थी। यहां उन्होंने आरोप लगाया कि SIR का इस्तेमाल परिवारों में भय पैदा करने और उन्हें असुरक्षित महसूस कराने के लिए किया जा रहा है।
इसी बीच, राजनीतिक सरगर्मी के बीच ‘ड्रामा बनाम डिलीवरी’ को लेकर भी तकरार तेज है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि सरकार ने खुद ‘ड्रामेबाजी की डिलीवरी’ दी है, जबकि दूसरी ओर पीएम मोदी ने कहा था कि आने वाले सत्र में विपक्ष को ड्रामा नहीं, डिलीवरी की नीति अपनानी चाहिए।

