नेमरा में गूंजा “जय दिशोम गुरु” का स्वर, लाखों लोगों ने दी शिबू सोरेन को अंतिम विदाई में श्रद्धांजलि

16th August 2025


नेमरा, रामगढ़
झारखंड की आत्मा कहे जाने वाले स्मृति शेष दिशोम गुरु शिबू सोरेन को आज लाखों लोगों ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी। नेमरा गांव में आयोजित उनके संस्कार भोज में राज्यभर से जनसैलाब उमड़ पड़ा। आदिवासी चेतना के प्रतीक, संघर्ष और त्याग की मिसाल बन चुके दिशोम गुरु को अंतिम विदाई देने लोग दूर-दूर से पहुंचे और फूल अर्पित कर नमन किया।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने जताया आभार, कहा- “बाबा को झारखंड कभी नहीं भूलेगा”
संस्कार भोज में मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “जब बाबा दिल्ली के अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष कर रहे थे, तब राज्यवासियों की दुआओं और समर्थन ने हमें हिम्मत दी। बाबा तो आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी स्मृतियाँ, उनका योगदान और उनके आदर्श हमेशा जीवित रहेंगे। राज्य की जनता जिस तरह हमारे साथ खड़ी रही, वह यह बताने के लिए काफी है कि लोगों के दिलों में ‘बाबा’ के लिए कितना गहरा प्रेम था।”
विशिष्ट अतिथियों की मौजूदगी में श्रद्धा का सैलाब
इस अवसर पर झारखंड के राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार, केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी समेत कई मंत्री, सांसद, विधायक और गणमान्य नागरिक मौजूद रहे। सभी ने शिबू सोरेन की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके साथ अपने संबंधों व संस्मरणों को साझा किया।
राजनीतिक से लेकर सामाजिक क्षेत्रों तक दिशोम गुरु के योगदान को याद करते हुए अतिथियों ने कहा कि “उनका जाना झारखंड के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने झारखंड के निर्माण से लेकर इसके विकास में अग्रणी भूमिका निभाई।”
“संघर्ष और त्याग की प्रतिमूर्ति थे दिशोम गुरु”
संस्कार भोज में आए आमजन से लेकर बुद्धिजीवी वर्ग तक सभी ने दिशोम गुरु जी के जीवन को संघर्ष, नेतृत्व, संगठन और आदिवासी स्वाभिमान की मिसाल बताया। लोगों का कहना था कि “उनका पूरा जीवन झारखंड के लिए समर्पित था। उन्होंने शोषण, अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध आवाज बुलंद की। वे झारखंड आंदोलन के सूत्रधार और अलग राज्य के स्थापक थे। उन्हें कभी नहीं भुलाया जा सकता।”
चाकचौबंद व्यवस्था, नहीं हुई किसी को असुविधा
संस्कार भोज में भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासनिक तैयारियां बेहद सुदृढ़ रहीं। सुरक्षा व्यवस्था से लेकर पार्किंग, भोजन, भीड़ नियंत्रण और दिशानिर्देशों की माइकिंग तक हर पहलू पर नजर रखी गई। मुख्यमंत्री स्वयं व्यवस्थाओं की निगरानी कर रहे थे। पार्किंग स्थल से लोगों को आयोजन स्थल तक लाने-ले जाने के लिए विशेष वाहनों की व्यवस्था भी की गई थी।
शब्दों से परे भावनाएं, “बाबा” रहेंगे अमर स्मृतियों में
जैसे ही लोग दिशोम गुरु की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दे रहे थे, आंखों में आंसू और दिलों में एक ही भाव था – “हमने एक युगपुरुष खो दिया।” लेकिन साथ ही यह संकल्प भी लिया गया कि दिशोम गुरु के दिखाए रास्ते पर चलना ही उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
शिबू सोरेन भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, पर उनके विचार, उनके संघर्ष और उनकी विरासत सदैव झारखंड की आत्मा में जीवित रहेगी।

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