Hazaribagh
झारखंड में इस साल धान की बंपर फसल के बीच बिचौलियों की धांधली भी बढ़ गई है। सरकार की खरीद नीति कागजों तक सीमित है और बिचौलिए गांव-गांव जाकर किसानों से सीधे खेतों में ही एडवांस डील कर रहे हैं।
इचाक, विष्णुगढ़, बड़कागांव और बरकट्ठा में धान की बुकिंग 1200-1500 रुपये प्रति क्विंटल में की जा रही है — जबकि पिछली बार सरकारी दर 2300 रुपये थी। किसान नकद भुगतान और तुरंत ट्रॉली उठाव के लालच में फंस रहे हैं।
असल खेल यहीं नहीं रुकता। बिचौलिए ये धान आंध्र प्रदेश के बड़े राइस मिलों तक भेजते हैं, खासकर काकीनाड़ा। वहां “सीता किस्म” के चावल की बड़ी मांग है, जो आगे अफ्रीकी देशों तक निर्यात होता है। ट्रकों पर रोक होने से माल रेलवे रैक के जरिए भेजा जा रहा है।
किसानों का कहना है कि सरकार के पैक्स केंद्र या तो खुले नहीं हैं या फिर क्षमता से ज्यादा भर चुके हैं। “जब तक सरकारी खरीद शुरू होती है, हमारा धान खराब हो जाता है,” किसान अशोक महतो कहते हैं।
उधर, इस बार सरकार ने एक हजार क्विंटल धान की खरीद पर 24 लाख रुपये की बैंक गारंटी की शर्त रख दी है। पैक्स प्रतिनिधि नाराज हैं और आवेदन देने से पीछे हट रहे हैं। इस देरी का सीधा फायदा बिचौलियों को मिल रहा है — जो अब खेतों में ही किसान और फसल, दोनों की कीमत तय कर रहे हैं।




