नोबेल विजेता कवियित्री हान कांग की एक लंबी कविता
हान कांगा अगर एक दिन नियति मुझसे बात करेमुझसे पूछेमैं तुम्हारी नियति हूंपता नहीं तुम्हारे मन में मेरे प्रतिगिला-शिकवा हैया…
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हान कांगा अगर एक दिन नियति मुझसे बात करेमुझसे पूछेमैं तुम्हारी नियति हूंपता नहीं तुम्हारे मन में मेरे प्रतिगिला-शिकवा हैया…