न्यूज डेस्क
मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले में प्रशासन लगातार एक्शन मोड में है। छिंदवाड़ा में जहां उस डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया है जिसने यह सिरप बच्चों को लिखा था, वहीं जबलपुर की कटारिया फार्मा कंपनी को सील कर दिया गया है, जहां से यह सिरप सप्लाई हुआ था।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कफ सिरप से मासूमों की मौत का मामला गहराता जा रहा है। पुलिस ने डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने बच्चों को वही कफ सिरप लिखा था, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ी और बाद में मौत हो गई। इस मामले में डॉक्टर और सिरप बनाने वाली कटारिया फार्मा कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
इधर जबलपुर में नौदराब्रिज स्थित कटारिया फार्मा को रविवार दोपहर जिला प्रशासन ने सील कर दिया। कार्रवाई के दौरान औषधि विभाग और ओमती थाना की टीम मौजूद रही। यह वही कंपनी है, जहां से छिंदवाड़ा के लिए संदिग्ध कफ सिरप की सप्लाई की गई थी। खबर लिखे जाने तक सीलिंग की प्रक्रिया जारी थी।
औषधि निरीक्षक ने बताया कि कोल्ड्रिफ सिरप के सैंपल लेकर प्रयोगशाला भेजे गए हैं। निरीक्षण के दौरान फर्म में उपलब्ध बाकी स्टॉक की खरीदी-बिक्री तत्काल प्रभाव से रोक दी गई है। साथ ही जिन मेडिकल स्टोर्स को यह दवा सप्लाई की गई थी, वहां भी इस सिरप की बिक्री पूरी तरह बंद करवा दी गई है।
रिपोर्ट में खुलासा
अधिकारियों के मुताबिक, जांच के लिए भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट तमिलनाडु ड्रग टेस्टिंग लेबोरेट्री और शासकीय औषधीय प्रयोगशाला से प्राप्त हुई है। दोनों रिपोर्टों में डाई-इथिलीन ग्लाइकोल नामक जहरीला रासायनिक पदार्थ क्रमशः 48.6 प्रतिशत और 46.8 प्रतिशत पाया गया है। यह तत्व मानव शरीर, खासकर किडनी के लिए घातक माना जाता है और इसकी वजह से बच्चों की मौत हुई है।
बीएमओ परसिया अंकित सहलाम ने बताया कि डाई-इथिलीन ग्लाइकोल एक प्रतिबंधित रासायनिक तत्व है। इसे किसी भी फार्मा उत्पाद में मिलाना गंभीर अपराध है। इसलिए सिरप बनाने वाली कंपनी और चिकित्सक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
फिलहाल औषधि विभाग द्वारा लिए गए सैंपलों की अंतिम रिपोर्ट का इंतजार है। रिपोर्ट आने के बाद कंपनी के खिलाफ आगे की विधिक कार्रवाई तय की जाएगी।




