‘UMEED’ पोर्टल पर वक्फ संपत्ति अपलोड नहीं की तो होगी कार्रवाई; सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाने से मना किया समय

1st December 2025

NEW DELHI

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वक्फ संपत्तियों का विवरण ‘UMEED’ पोर्टल पर डालने की अंतिम तिथि अब आगे नहीं बढ़ाई जाएगी। अदालत ने समय सीमा विस्तार की सभी मांगों को ठुकराते हुए कहा कि जिन लोगों को किसी तरह की राहत चाहिए, वे वक्फ ट्राइब्यूनल का रुख करें।

समय सीमा बढ़ाने वाली जिन याचिकाओं पर सुनवाई हो रही थी, उनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) और AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी की याचिका भी शामिल थी। केंद्र सरकार ने पहले ही पोर्टल पर जानकारी अपलोड करने के लिए 5 दिसंबर तक का समय निर्धारित किया है। यदि किसी मुतवल्ली या संस्था ने यह ब्यौरा अपलोड नहीं किया, तो कानून के तहत दंडित किया जा सकता है।

जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि वक्फ अधिनियम में ट्राइब्यूनल के जरिए राहत पाने का रास्ता मौजूद है और अदालत किसी भी कानून की भाषा बदलने का काम नहीं कर सकती। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी दलील दी थी कि हर मुतवल्ली अपने मामले की परिस्थिति के आधार पर ट्राइब्यूनल से राहत मांग सकता है। कोर्ट ने इसी तर्क को आधार बनाकर डेडलाइन बढ़ाने से इंकार कर दिया।

कितनी हो सकती है सजा?

15 सितंबर के अपने अंतरिम आदेश में भी सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को पूरी तरह रोकने से इनकार किया था, हालांकि कुछ प्रावधानों पर स्थगन दिया गया था। वर्तमान नियमों के मुताबिक, यदि वक्फ संपत्तियों का विवरण निर्धारित समय में ‘UMEED’ पोर्टल पर अपलोड नहीं किया जाता है, तो संबंधित व्यक्ति को छह माह तक की सजा और 20,000 रुपये तक का जुर्माना झेलना पड़ सकता है। साथ ही जिन संपत्तियों को पोर्टल पर दर्ज नहीं किया जाएगा, उनका वक्फ दर्जा समाप्त माना जाएगा और आगे दोबारा पंजीकरण सिर्फ ट्राइब्यूनल के आदेश से ही संभव होगा।

Ads

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *