फर्जी जाति प्रमाणपत्र पर RIMS की निर्णायक कार्रवाई, MBBS छात्रा का दाखिला रद्द

3rd December 2025

तीन नोटिस के बाद भी नहीं दिया जवाब, गिरिडीह DC की रिपोर्ट ने खोला पूरा मामला



Ranchi

राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS) में MBBS प्रथम वर्ष (सत्र 2025-26) में पढ़ रही छात्रा काजल का नामांकन फर्जी SC प्रमाणपत्र की पुष्टि होने के बाद रद्द कर दिया गया है। रिम्स ने सोमवार को आदेश जारी करते हुए उसके कक्षा में प्रवेश पर रोक लगा दी और छात्रावास खाली करने का निर्देश भी दे दिया।

छात्रा को 20 नवंबर को ही निलंबित कर दिया गया था। जांच में कई गंभीर अनियमितताएं सामने आईं, जिनसे प्रवेश प्रक्रिया में संभावित जालसाजी और किसी संगठित गिरोह की भूमिका की आशंका और गहरी हो गई है।

तीन नोटिस भेजे, जवाब तक नहीं दिया
रिम्स ने सभी छात्रों के प्रमाणपत्र संबंधित जिलों के उपायुक्तों को सत्यापन के लिए भेजे थे। गिरिडीह DC ने काजल का प्रमाणपत्र फर्जी होने की लिखित पुष्टि की। इसके बाद रिम्स ने छात्रा को लगातार तीन नोटिस भेजे, लेकिन उसकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।

विधि सलाह लेने के बाद संस्थान ने उसे दोषी मानते हुए नामांकन रद्द कर दिया। साथ ही कक्षा में प्रवेश और हॉस्टल में रहने पर रोक लगा दी गई है। रिम्स डीन (छात्र कल्याण) डॉ. शिव प्रिये ने बताया कि पूरी रिपोर्ट विभागीय संयुक्त सचिव और JCECEB को भेज दी गई है और गिरिडीह DC को जालसाजी में शामिल लोगों की पहचान के लिए कार्रवाई करने को कहा गया है।

JCECEB की प्रक्रियाओं पर फिर सवाल
काजल ने JCECEB के माध्यम से SC श्रेणी में रैंक-01 प्राप्त कर MBBS सीट हासिल की थी। यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में भी ऐसा मामला सामने आ चुका है।

सूत्र बताते हैं कि फर्जी प्रमाणपत्र का खेल ज्यादातर नामांकन के समय जमा किए जाने वाले दस्तावेज़ों में होता है, जबकि कॉलेज स्तर पर सत्यापन में ही जालसाजी पकड़ में आती है। इससे JCECEB की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं।

एफआईआर पर फैसला प्रशासन का, नीट देने पर रोक नहीं
रिम्स का कहना है कि संस्थान अपनी ओर से एफआईआर दर्ज नहीं करेगा, लेकिन फर्जी जाति प्रमाणपत्र तैयार करना और उसका उपयोग करना दंडनीय अपराध है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग या जिला प्रशासन चाहे तो प्राथमिकी दर्ज कर सकता है।

जहां तक छात्रा के भविष्य का सवाल है—नीट की ओर से उस पर अभी कोई स्थायी रोक नहीं है, इसलिए वह दोबारा सामान्य अभ्यर्थी की तरह परीक्षा दे सकती है। यदि आगे चलकर आपराधिक मामला दर्ज होता है या नीट उसे फ्रॉड की श्रेणी में दंडित करता है, तभी स्थायी प्रतिबंध की स्थिति पैदा होगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि नीट फॉर्म में दी गई श्रेणी और नामांकन के समय जमा किए गए प्रमाणपत्रों का सख्त मिलान अनिवार्य किया जाना चाहिए, ताकि ऐसी धोखाधड़ी दोबारा न हो।

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