न्यूज डेस्क
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों से आग्रह किया है कि वे निष्क्रिय जमा राशियों को उनके वास्तविक मालिकों तक वापस पहुंचाने के प्रयासों को तेज करें। इसमें वे राशियाँ शामिल हैं जो 10 वर्षों से अधिक समय से निष्क्रिय पड़ी हैं, जैसे कि चालू और बचत खाता जमा, परिपक्वता के बाद भी न ली गई सावधि जमा राशि, तथा बकाया लाभांश, ब्याज या बीमा की रकम।
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई अक्टूबर से दिसंबर 2025 तक एक विशेष अभियान चलाएगा, जिसका फोकस ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों पर रहेगा। इस अभियान का उद्देश्य इन निष्क्रिय खातों और राशियों को पहचान कर संबंधित खाताधारकों या उनके लाभार्थियों को वापस लौटाना है।
पूर्व आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने फरवरी की मौद्रिक नीति में यह घोषणा की थी कि एक केंद्रीकृत वेब पोर्टल विकसित किया जा रहा है, जिससे जमाकर्ता या उनके उत्तराधिकारी विभिन्न बैंकों में पड़ी निष्क्रिय जमा राशियों की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। ये राशियाँ अंततः आरबीआई द्वारा संचालित “जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता (DEA) फंड” में स्थानांतरित कर दी जाती हैं।
आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाएं, विशेष रूप से कम साक्षरता वाले क्षेत्रों और ग्रामीण या अर्ध-शहरी आबादी को ध्यान में रखते हुए। इन अभियानों को स्थानीय भाषाओं में संचालित करने पर जोर दिया गया है ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें।




