द न्यूज डेस्क
चीन में सर्जनों ने पहली बार सुअर से इंसान में फेफड़े का सफल प्रत्यारोपण (लंग ट्रांसप्लांट) किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह प्रयोग इस प्रक्रिया की संभावनाओं को दर्शाता है, हालांकि इसे सामान्य चिकित्सा पद्धति में बदलने से पहले अभी काफी परीक्षण बाकी हैं।
दक्षिणी चीन के ग्वांगझोउ स्थित नेशनल क्लीनिकल रिसर्च सेंटर फॉर रेस्पिरेटरी डिजीज के वैज्ञानिकों के अनुसार, यह प्रत्यारोपण एक मस्तिष्क-मृत (ब्रेन-डेड) मानव शरीर में किया गया। प्रत्यारोपित फेफड़ा 216 घंटे (यानि 9 दिन) तक जीवित और कार्यशील रहा। इस दौरान न तो कोई संक्रमण यानी साइड इफेक्ट हुआ और न ही शरीर ने इसे अस्वीकार किया।
ज़ीनोट्रांसप्लांटेशन क्या है?
जब किसी जीवित प्राणी का अंग किसी अन्य प्रजाति के प्राणी में प्रत्यारोपित किया जाता है, तो इस प्रक्रिया को ज़ीनोट्रांसप्लांटेशन कहा जाता है। यह तकनीक दुनिया भर में अंगों की कमी की गंभीर समस्या का समाधान मानी जा रही है।
ग्वांगझोउ में किए गए इस अध्ययन के अनुसार, हाल के वर्षों में सुअर से इंसान में दिल और गुर्दे का प्रत्यारोपण करने में कुछ हद तक सफलता मिली है। हालांकि, फेफड़ों का प्रत्यारोपण अधिक जटिल माना जाता है क्योंकि उनकी बनावट और कार्यप्रणाली अधिक जटिल होती है, और वे सीधे वातावरण के संपर्क में रहते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
इस अध्ययन में 22 महीने के एक 70 किलोग्राम वज़नी चीनी बामा श्यांग नस्ल के नर सुअर से फेफड़ा लिया गया और एक 39 वर्षीय पुरुष मानव मरीज़ में प्रत्यारोपित किया गया। यह फेफड़ा 9 दिनों तक कार्य करता रहा और किसी भी तीव्र अस्वीकृति या अनियंत्रित संक्रमण के लक्षण नहीं दिखे।
शोधकर्ताओं ने कहा, “यह अध्ययन दर्शाता है कि अनुवांशिक रूप से संशोधित सुअर के फेफड़े मस्तिष्क-मृत मानव शरीर में बिना तीव्र अस्वीकृति और संक्रमण के, 216 घंटे तक कार्यशील रह सकते हैं।”
हालांकि वैज्ञानिकों ने यह भी माना कि ज़ीनोट्रांसप्लांटेशन को व्यावहारिक चिकित्सा पद्धति बनाने के लिए अब भी कई तकनीकी और नैतिक चुनौतियों को सुलझाना बाकी है।




