RANCHI
भारत रत्न और देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की 137वीं जयंती के अवसर पर, जिसे राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है, अंजुमन इस्लामिया के रहमानिया मुसाफिर खाना हॉल और कर्बला टैंक रोड स्थित चिश्तिया नगर फाउंडेशन में एक भावनात्मक कार्यक्रम आयोजित हुआ। मौलाना आजाद ह्यूमेन इनिशिएटिव (माही) के सदस्यों ने इस मौके पर मदरसा इस्लामिया रांची और चिश्तिया नगर के जरूरतमंद बच्चों के बीच स्वेटर वितरित किए। यह पहल न केवल बच्चों को सर्दी से राहत देने वाली रही, बल्कि मौलाना आजाद की शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को भी याद करने का माध्यम बनी।
कार्यक्रम की शुरुआत मदरसा इस्लामिया रांची के कार्यकारिणी सदस्य और कन्वेनर साजिद उमर ने स्वागत भाषण के साथ की। उन्होंने कहा कि यह आयोजन मौलाना आजाद के आदर्शों को जीवंत रखने का प्रयास है।
माही के संयोजक इबरार अहमद ने अपने संबोधन में बताया कि मौलाना आजाद ने रांची में नजरबंदी के दौरान इस मदरसे की स्थापना की थी। उन्होंने कहा, “मौलाना ने कठिन दिनों में भी शिक्षा को प्राथमिकता दी। उन्होंने अपनी पत्नी के जेवर और अपने अखबार अल-हिलाल तथा अल-बलाग तक को बेचकर शिक्षा के प्रसार में योगदान दिया।”
इबरार अहमद ने आगे कहा कि रांची के अमनपसंद लोगों और गैर-मुस्लिम समुदाय ने भी इस नेक काम में मौलाना का साथ दिया, जो भारत की गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मौलाना के आदर्शों और शिक्षा के मिशन को आगे बढ़ाना समय की जरूरत है।
इस अवसर पर मिल्लत पंचायत पत्थलकुदवा के जावेद अहमद ने कहा, “मौलाना की सोच यह दर्शाती है कि उन्होंने बिना भेदभाव के शिक्षा को सबके लिए जरूरी माना। आज हमारे पास संसाधन हैं, लेकिन समाजहित के कामों के लिए उतनी सक्रियता नहीं दिखती, जितनी होनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि मौलाना ने एक मील का पत्थर स्थापित किया, अब उसे आगे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है।
कार्यक्रम में मदरसे के जिम्मेदारों के अलावा बच्चे, अंजुमन इस्लामिया रांची के सदस्य शहजाद बबलू, इंजीनियर फारूक, मोहम्मद राजन, चिश्तिया नगर के मोहम्मद इरफान, छोटू और मोहम्मद अख्तर सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
माही के सदस्यों ने संकल्प लिया कि मौलाना आजाद की शिक्षा-दृष्टि को जीवित रखने के लिए ऐसे कार्यक्रम आगे भी जारी रहेंगे।





