लोहरदगा
आदिवासी–कुड़मी मतभेद के बीच JLKM आंदोलनकारी नेता देवेन्द्रनाथ महतो ने बड़ी लकीर खींचते हुए आंदोलन को आदिवासी बहुल इलाकों तक पहुंचाया और सबको एकजुट किया। उनका कहना है कि झारखंडी आदिवासी-मूलवासी अगर एकजुट रहें तो ही बाहरी ताकतों के शोषण से मुक्ति संभव है।
लोहरदगा जिले के किस्को थाना अंतर्गत हिंडाल्को बॉक्साइट पाखर माइंस में रैयत विस्थापितों के अधिकार को लेकर शनिवार को एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया गया। सुबह से शुरू हुआ यह आंदोलन शाम होते-होते उग्र हो गया। कंपनी के अधिकारी वार्ता करने नहीं पहुंचे तो ग्रामीण आक्रोशित होकर कंपनी के कार्यालय के भीतर घुस गए और जोरदार नारेबाजी करने लगे। उन्होंने कंपनी के एचआर और मैनेजर से मिलने की ज़िद की। आंदोलन का नेतृत्व JLKM के केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष देवेन्द्रनाथ महतो कर रहे थे। अंततः देर शाम कंपनी प्रबंधन और ग्रामीणों के बीच वार्ता हुई।
देवेन्द्रनाथ महतो ने मौके पर कहा कि झारखंड में बड़ी कंपनियां और बाहरी ताकतें आदिवासी-मूलवासियों का शोषण कर रही हैं। उन्होंने कहा, “झारखंड के कुड़मी, आदिवासी, सदान और मूलवासी अगर साथ आ जाएं तभी इस शोषण से मुक्ति मिल सकती है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि लोहरदगा के पाखर माइंस से प्रतिदिन लगभग 400 ट्रक बॉक्साइट निकलता है, जिससे सरकार को प्रतिदिन लगभग 24 लाख रुपये टैक्स मिलता है। महीने में करीब 72 करोड़ और साल भर में लगभग 86 करोड़ 40 लाख रुपये सरकार के खाते में जाते हैं। लेकिन खदान शुरू हुए लगभग 78 साल हो चुके हैं और आज भी विस्थापित गांव बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। न सड़क है, न शिक्षा की व्यवस्था, न स्वास्थ्य सेवाएं। उन्होंने कहा कि कंपनी CSR और DMFT फंड का बंदरबांट करती है, जबकि विस्थापित अब भी बदहाली में जी रहे हैं।
ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपते हुए कई मांगें रखीं। इनमें शामिल हैं –
- पाखर से धुर्वा मोड़ किस्को तक सड़क निर्माण।
- सीएम एक्सलेंस स्कूल की तर्ज पर शिक्षा व्यवस्था।
- आधुनिक सुविधाओं से युक्त अस्पताल।
- कार्यरत मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी और सभी मानक सुविधाएं।
देवेन्द्र नाथ महतो ने चेतावनी दी कि यदि मांगें पूरी नहीं की गईं तो आंदोलन निरंतर जारी रहेगा।
वार्ता के दौरान कंपनी अधिकारियों ने ग्रामीणों की मांगों को जायज मानते हुए शीघ्र पूरा करने का आश्वासन दिया। इस आंदोलन में जिला अध्यक्ष चैतु उरांव, वरीय उपाध्यक्ष कृष्ण बड़ाइक, सचिव किशोर उरांव, महासचिव पंचम एक्का, गुणा भगत, हजारी उरांव समेत बड़ी संख्या में आदिवासी रैयत मौजूद थे।




