पटना
ऑनलाइन गेम्स खेलकर पैसे कमाने की लत बिहार के बच्चों पर भारी पड़ रही है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की ताज़ा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राज्य में करीब 25 लाख बच्चे मानसिक समस्या के शिकार हो गए हैं। इसका सीधा असर उनकी पढ़ाई और भविष्य पर पड़ रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा ऑनलाइन गेम्स पर रोक लगाने से पहले बिहार के करीब 35 लाख किशोर इसमें शामिल थे। इनमें से 70% यानी 25 लाख बच्चे गेम्स बंद होने के बाद मानसिक तनाव झेल रहे हैं। गेम्स जीतने के लिए ये बच्चे पहले पॉकेट मनी खर्च करते थे, फिर घर से पैसे चुराने और यहां तक कि कर्ज लेने तक की नौबत आ गई।
आयोग की रिपोर्ट बताती है कि सिर्फ एक साल में बच्चों ने पांच करोड़ रुपये तक गंवा दिए। खेल बंद होने पर तनाव और चिड़चिड़ापन इतना बढ़ गया कि कई बच्चे गंभीर मानसिक परेशानी में फंस गए हैं।
जानकारी के अनुसार, टेलीकॉम विभाग ने हाल ही में 155 ऑनलाइन गेम्स पर बैन लगाया। उसके बाद आयोग ने 25 से 30 अगस्त तक ऑनलाइन सर्वे कराया। इसमें 10 से 18 साल के 35 लाख किशोर शामिल हुए। उनमें से 25 लाख ने स्वीकार किया कि गेम्स बंद होने से वे तनाव में हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह लत बच्चों को न सिर्फ पढ़ाई से दूर कर रही है बल्कि उन्हें कम उम्र में पैसे के लालच की ओर भी धकेल रही है। खराब रिजल्ट और असफलता से कई बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं, जिससे माता-पिता की चिंता और बढ़ गई है।




