IFFK विवाद: फिल्मों पर रोक के मुद्दे पर आमने-सामने केंद्र और केरल सरकार
CINEMA DESK
केरल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFK) को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव खुलकर सामने आ गया है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा 19 फिल्मों को स्क्रीनिंग की अनुमति न दिए जाने के फैसले को केरल सरकार ने मानने से इनकार कर दिया है। राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि महोत्सव के तय कार्यक्रम के अनुसार सभी फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा।
इन 19 फिल्मों में कुछ पैलेस्टाइन विषय पर आधारित फिल्में और एक करीब सौ साल पुरानी क्लासिक फिल्म भी शामिल है। केंद्र सरकार की ओर से इन फिल्मों को सेंसर छूट न मिलने के बाद महोत्सव के दौरान कई स्क्रीनिंग रोकी गईं, जिससे फिल्मकारों, प्रतिनिधियों और दर्शकों में नाराजगी फैल गई।
केरल सरकार और केरल स्टेट चालचित्र अकादमी का कहना है कि यह फैसला कलात्मक स्वतंत्रता पर सीधा हस्तक्षेप है। सरकार ने दो टूक शब्दों में कहा कि फिल्म महोत्सव की स्वायत्तता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और केंद्र का आदेश स्वीकार्य नहीं है।
मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन ने भी इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि केरल संवैधानिक दायरे में रहकर महोत्सव आयोजित कर रहा है और फिल्मों को दिखाने से पीछे नहीं हटेगा। इस फैसले के बाद IFFK अब केवल एक फिल्म महोत्सव नहीं, बल्कि केंद्र-राज्य अधिकारों और अभिव्यक्ति की आज़ादी की बहस का मंच बन गया है।
इस पूरे विवाद को देशभर में सेंसरशिप बनाम रचनात्मक स्वतंत्रता के बड़े सवाल के तौर पर देखा जा रहा है, जहां केरल सरकार ने केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ खुला स्टैंड ले लिया है।

