Karnataka An operator was removing voters names from the list
News Desk
7 हजार मतदाता हटाने की साज़िश, SIT ने 6 संदिग्धों की पहचान की
कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र में वोटर लिस्ट से नाम गायब करने की साज़िश का पर्दाफाश हुआ है। 2023 के विधानसभा चुनावों में हुए इस ‘वोट चोरी’ मामले की जांच कर रही एसआईटी (विशेष जांच दल) ने अब इस घोटाले में शामिल कम से कम छह संदिग्धों की पहचान कर ली है।
हर नाम काटने की कीमत — ₹80
सीआईडी के सूत्रों ने खुलासा किया है कि वोटर लिस्ट से नाम हटाने के हर आवेदन के लिए संदिग्धों को 80 रुपये का भुगतान किया जाता था। जांच में पाया गया कि कुल 6,994 नाम काटने के आवेदन दिए गए थे, जिनमें से 6,018 फर्जी थे। यानी लगभग ₹4.8 लाख रुपये सिर्फ फर्जीवाड़े पर खर्च हुए।
कलबुर्गी के डेटा सेंटर से भेजे गए फर्जी आवेदन
सूत्रों के मुताबिक ये सारे आवेदन कलबुर्गी स्थित एक डेटा ऑपरेटिंग सेंटर से भेजे जा रहे थे। मामला उस समय सुर्खियों में आया जब कांग्रेस विधायक बी.आर. पाटिल और मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे तथा मंत्री प्रियांक खरगे ने वोटर लिस्ट में धांधली की शिकायत चुनाव आयोग से की थी।
राहुल गांधी ने भी उठाया था मुद्दा
प्रियांक खरगे और पाटिल के खुलासे के बाद इस पर रोक लगी। बाद में राहुल गांधी ने नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ‘वोट चोरी’ का मुद्दा उठाया और कहा कि गरीबों और अल्पसंख्यकों के वोट जानबूझकर काटने की कोशिश की गई थी।
संदिग्धों के ठिकानों पर छापे
एसआईटी ने इस मामले में सुभाष गुट्टेदार (भाजपा प्रत्याशी), उनके बेटों और एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के ठिकानों पर छापेमारी की। छापे के दौरान जले हुए मतदाता रेकॉर्ड भी बरामद हुए। गुट्टेदार का दावा है कि दीपावली की सफाई के दौरान ये रेकॉर्ड अनजाने में जल गए थे।
कांग्रेस का हमला — ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’
कांग्रेस ने इस खुलासे को भाजपा की “लोकतंत्र पर सीधी चोट” बताया है। पार्टी ने कहा कि यह सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र की कहानी नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि गरीबों और हाशिए पर खड़े लोगों की आवाज़ कैसे दबाई जा रही है।
कर्नाटक सरकार ने जांच को दी रफ्तार
राज्य सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सीआईडी के एडीजी बी.के. सिंह के नेतृत्व में एसआईटी गठित की थी। सूत्रों के अनुसार, जल्द ही गिरफ्तारियां हो सकती हैं।




