Ranchi
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज रांची में प्रेस वार्ता कर आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी की रणनीति का खुलासा किया। भट्टाचार्य ने कहा कि झामुमो बिहार में चुनावी लड़ाई के लिए पूरी तरह तैयार है और पार्टी महागठबंधन के साथ ही चुनाव मैदान में उतरेगी।
भट्टाचार्य ने कहा कि जनता ने तय कर लिया है कि वे एनडीए की सरकार को हटाकर महागठबंधन को सत्ता में लाना चाहते हैं। उन्होंने झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में शुरू हुए कामों का उल्लेख करते हुए कहा कि बिहार के लोग भी झारखंड जैसी विकास दर और जीवन स्तर चाहते हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि झामुमो का बिहार के साथ सिर्फ ‘बेटी-रोटी’ का रिश्ता नहीं बल्कि बड़े भाई-छोटे भाई जैसा है।
भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि झारखंड में आदिवासी, मूलवासी, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्गों को जिस तरह 20 वर्षों में राजनीतिक दबाव और असमानता का सामना करना पड़ा, उसी प्रकार की स्थिति बिहार में भी है। इसलिए झामुमो वहां चुनावी संघर्ष में उतर रहा है।
उन्होंने महागठबंधन में सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि राज्य में राजद, कांग्रेस और माले को सम्मानजनक हिस्सेदारी दी गई है। 2019 में आरजेडी को 7 सीटें दी गईं, जिसमें केवल एक जीत हासिल हुई थी और उस प्रतिनिधि को पूरे पांच वर्ष मंत्री बनाए रखा गया। इस बार भी झामुमो ने 5% हिस्सेदारी यानी 6 सीटें राजद को दी हैं।
भट्टाचार्य ने बताया कि झामुमो की केंद्रीय समिति की बैठक 15 तारीख को हो रही है, जिसके बाद सीटों पर अंतिम फैसला होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि झामुमो स्वतंत्र राजनीतिक दल होने के नाते फॉर्म ए और फॉर्म बी भरकर चुनाव लड़ने में सक्षम है और भाजपा के खिलाफ मजबूती से मैदान में उतरेगी।
भट्टाचार्य ने कहा कि कई सीटों पर पार्टी के नेता-कार्यकर्ता प्रचार नहीं करेंगे, जिससे महागठबंधन को नुकसान हो सकता है। इसीलिए घाटशिला समेत अन्य महत्वपूर्ण सीटों पर पार्टी की रणनीति तय की जाएगी और पूरी मजबूती से चुनाव लड़ा जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सभी समझौते सम्मानजनक होंगे और उसी के तहत झामुमो चुनाव में हिस्सेदारी निभाएगा।




