NEW DELHI
भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला 2025 में फोकस स्टेट के रूप में शामिल झारखंड पवेलियन इस वर्ष अपने अनूठे माइनिंग टूरिज्म मॉडल और वर्चुअल रियलिटी अनुभवों के कारण खास चर्चा में है। शनिवार को देशभर से आए आगंतुकों की भारी भीड़ पवेलियन में उमड़ी और सभी ने झारखंड की विविध पर्यटन संभावनाओं को बिल्कुल नए नजरिए से देखा। राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, सांस्कृतिक संरक्षण और लोकभागीदारी के प्रयासों का प्रभाव भी यहां साफ नजर आया, जिसने झारखंड को तेजी से उभरते पर्यटन गंतव्यों में शामिल किया है।
माइनिंग टूरिज्म इस बार पवेलियन का सबसे बड़ा आकर्षण बना हुआ है। आगंतुकों को प्रशिक्षित गाइडों के साथ सक्रिय कोयला खदानों का नजदीक से भ्रमण कराए जाने वाली इस पहल ने सभी को प्रभावित किया। यहां लोग खनन प्रक्रियाओं, अत्याधुनिक मशीनों के संचालन और सुरक्षित खनन तकनीकों को प्रत्यक्ष तौर पर समझ सके। साथ ही उन्होंने यह भी जाना कि ऊर्जा उत्पादन और देश की अर्थव्यवस्था में झारखंड की क्या अहम भूमिका है। यह मॉडल न सिर्फ जानकारियों से भरपूर है बल्कि खनन जगत की वास्तविक दुनिया से रूबरू कराता है।
पवेलियन में लगे वर्चुअल रियलिटी अनुभव भी बेहद लोकप्रिय रहे। VR सेटअप के माध्यम से पतरातू वैली, नेतरहाट, सारंडा फॉरेस्ट, बेतला नेशनल पार्क, चांडिल डैम और पारसनाथ जैसे प्रमुख स्थलों को एक इमर्सिव शैली में प्रदर्शित किया गया। आगंतुक बिना वहां जाए इन क्षेत्रों की वास्तविक प्राकृतिक सुंदरता, घाटियों और जंगलों का अनुभव कर पा रहे थे। इससे झारखंड टूरिज्म की नई दिशा और टेक-फ्रेंडली दृष्टिकोण को भी मजबूती मिली।
पवेलियन में झारखंड की आध्यात्मिक धरोहर को भी खास स्थान दिया गया है। बैद्यनाथ धाम (देवघर), शक्तिपीठ हृदयपीठ जहां माता सती का हृदय गिरा था, और श्री बंशीधर मंदिर जिसमें भगवान कृष्ण की 1280 किलो शुद्ध सोने से निर्मित प्रतिमा स्थापित है—इन स्थलों की झलक ने दर्शकों का ध्यान खींचा और राज्य की धार्मिक विविधता को प्रभावशाली ढंग से सामने रखा।
प्राकृतिक पर्यटन में पतरातू वैली की प्रस्तुति सबसे ज्यादा पसंद की गई। हरी-भरी वादियां, झील, बांध और बोटिंग के सुंदर दृश्य झारखंड को एक उभरते नेचर-टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित कर रहे हैं। सरकार द्वारा विकसित व्यू प्वाइंट, कैफेटेरिया और मनोरंजन सुविधाएं पतरातू को और भी आकर्षक और सुविधाजनक बनाती हैं।
कुल मिलाकर, भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला 2025 में झारखंड पवेलियन ने यह साबित कर दिया कि राज्य सिर्फ खनिजों की भूमि ही नहीं, बल्कि प्राकृतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और तकनीकी अनुभवों का एक अनोखा संगम है—और यह पहचान अब पूरे देश के सामने उजागर हो चुकी है।




