RANCHI
झारखंड सरकार ने शहरों और गांवों में तेजी से बढ़ रही आवारा कुत्तों की समस्या को नियंत्रित करने के लिए एक विस्तृत एक्शन प्लान तैयार किया है। इसके लिए राज्य सरकार ने नई एसओपी (Standard Operating Procedure) जारी की है। इसमें सभी शहरी निकायों को लक्ष्य दिया गया है कि वे अपने क्षेत्र में कम से कम 70% आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण सुनिश्चित करें।
पेट डॉग रखने वालों के लिए भी अब नियम सख्त किए गए हैं। हर पालतू कुत्ते का अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन शहरी निकाय या पंचायती राज संस्थाओं से कराना होगा। कुत्ते के काटने पर इलाज और कानूनी कार्रवाई का पूरा खर्च मालिक को ही उठाना होगा।
लोगों की बढ़ती परेशानी
केवल रांची के आंकड़े ही बता देते हैं कि हालात कितने गंभीर हैं। सदर अस्पताल में 2023 में 4,715 लोगों को एंटी-रेबीज इंजेक्शन देना पड़ा था, जबकि 2025 में यह संख्या बढ़कर 7,503 मामलों तक पहुंच गई, यानी डॉग-बाइट के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
एसओपी के प्रमुख पॉइंट्स
- नसबंदी और टीकाकरण: सभी आवारा कुत्तों पर बड़े पैमाने पर नसबंदी और वैक्सीनेशन।
- कॉलर मार्किंग: प्रक्रिया पूरी होने के बाद कुत्तों को कलर लगे कॉलर से चिह्नित किया जाएगा।
- फीडिंग जोन: नगर निकाय तय स्थानों पर फीडिंग जोन बनाएंगे ताकि अव्यवस्थित तरीके से खिलाने पर रोक लगे।
- एंटी-रेबीज वैक्सीन: स्वास्थ्य विभाग पर्याप्त वैक्सीन और रेबीज इम्युनोग्लोबिन उपलब्ध कराएगा।
- पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन: सभी पेट डॉग मालिकों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य।
- इलाज का खर्च: पालतू कुत्ते के काटने पर पीड़ित का इलाज पूरी तरह मालिक के जिम्मे।
- कानूनी जिम्मेदारी: केस या कानूनी कार्रवाई की लागत भी मालिक को ही देनी होगी।
अगले 30 दिनों का एक्शन रोडमैप
एसओपी लागू करने के लिए 30 दिनों का तीन-स्तरीय प्लान तैयार किया गया है—
- नोडल समन्वय समिति का गठन
- एबीसी (Animal Birth Control) इंफ्रास्ट्रक्चर का ऑडिट
- सघन एबीसी अभियान की शुरुआत
यह प्लान राज्यभर में डॉग-बाइट के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने और कुत्तों की आबादी को वैज्ञानिक तरीके से नियंत्रित करने का आधार बनेगा।
30th November 2025सड़क पर बढ़ते डॉग अटैक पर सख्त सरकार: पालतू कुत्ते का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, मालिकों पर बढ़ेगी जिम्मेदारी
Jharkhand Issues SOP to Control Stray Dogs Mandatory Registration for Pet Owners RANCHI
RANCHI
झारखंड सरकार ने शहरों और गांवों में तेजी से बढ़ रही आवारा कुत्तों की समस्या को नियंत्रित करने के लिए एक विस्तृत एक्शन प्लान तैयार किया है। इसके लिए राज्य सरकार ने नई एसओपी (Standard Operating Procedure) जारी की है। इसमें सभी शहरी निकायों को लक्ष्य दिया गया है कि वे अपने क्षेत्र में कम से कम 70% आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण सुनिश्चित करें।
पेट डॉग रखने वालों के लिए भी अब नियम सख्त किए गए हैं। हर पालतू कुत्ते का अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन शहरी निकाय या पंचायती राज संस्थाओं से कराना होगा। कुत्ते के काटने पर इलाज और कानूनी कार्रवाई का पूरा खर्च मालिक को ही उठाना होगा।
लोगों की बढ़ती परेशानी
केवल रांची के आंकड़े ही बता देते हैं कि हालात कितने गंभीर हैं। सदर अस्पताल में 2023 में 4,715 लोगों को एंटी-रेबीज इंजेक्शन देना पड़ा था, जबकि 2025 में यह संख्या बढ़कर 7,503 मामलों तक पहुंच गई, यानी डॉग-बाइट के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
एसओपी के प्रमुख पॉइंट्स
- नसबंदी और टीकाकरण: सभी आवारा कुत्तों पर बड़े पैमाने पर नसबंदी और वैक्सीनेशन।
- कॉलर मार्किंग: प्रक्रिया पूरी होने के बाद कुत्तों को कलर लगे कॉलर से चिह्नित किया जाएगा।
- फीडिंग जोन: नगर निकाय तय स्थानों पर फीडिंग जोन बनाएंगे ताकि अव्यवस्थित तरीके से खिलाने पर रोक लगे।
- एंटी-रेबीज वैक्सीन: स्वास्थ्य विभाग पर्याप्त वैक्सीन और रेबीज इम्युनोग्लोबिन उपलब्ध कराएगा।
- पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन: सभी पेट डॉग मालिकों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य।
- इलाज का खर्च: पालतू कुत्ते के काटने पर पीड़ित का इलाज पूरी तरह मालिक के जिम्मे।
- कानूनी जिम्मेदारी: केस या कानूनी कार्रवाई की लागत भी मालिक को ही देनी होगी।
अगले 30 दिनों का एक्शन रोडमैप
एसओपी लागू करने के लिए 30 दिनों का तीन-स्तरीय प्लान तैयार किया गया है—
- नोडल समन्वय समिति का गठन
- एबीसी (Animal Birth Control) इंफ्रास्ट्रक्चर का ऑडिट
- सघन एबीसी अभियान की शुरुआत
यह प्लान राज्यभर में डॉग-बाइट के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने और कुत्तों की आबादी को वैज्ञानिक तरीके से नियंत्रित करने का आधार बनेगा।

