पटना
बिहार में चल रही एसआईआर (Special Intensive Revision) प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अहम टिप्पणी की। अदालत ने स्पष्ट कहा कि यदि चुनाव आयोग (EC) की ओर से किसी भी स्तर पर गड़बड़ी पाई जाती है, तो पूरी प्रक्रिया रद्द कर दी जाएगी। कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि इस मामले में आने वाला फैसला सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे देश पर लागू होगा।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि वह इस मुद्दे पर आंशिक राय नहीं दे सकता। साथ ही यह भी माना कि संवैधानिक संस्था चुनाव आयोग कानून और नियमों के अनुरूप काम कर रही है। लेकिन यदि किसी भी चरण पर विधि का उल्लंघन सामने आता है, तो अदालत दखल देगी।
इस मामले पर अंतिम दलीलें सात अक्टूबर को सुनी जाएंगी। हालांकि याचिकाकर्ता ने एक अक्टूबर से पहले सुनवाई की अपील की थी, क्योंकि उसी दिन अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होनी है। लेकिन जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की बेंच ने बताया कि 28 सितंबर से दशहरे की छुट्टियों के कारण कोर्ट बंद रहेगा।
अदालत ने याचिकाकर्ताओं को भरोसा दिलाया कि मतदाता सूची के प्रकाशन से मामले की गंभीरता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अगर गड़बड़ी पाई जाती है, तो अंतिम प्रकाशन के बावजूद कोर्ट हस्तक्षेप करेगा। यह टिप्पणी अधिवक्ता प्रशांत भूषण की आपत्ति के जवाब में आई, जिन्होंने आरोप लगाया कि आयोग अपने ही मैनुअल और नियमों का पालन नहीं कर रहा और दर्ज आपत्तियों को अपलोड नहीं कर रहा।
यह सुनवाई इसलिए भी अहम है क्योंकि चुनाव आयोग ने हाल ही में देशभर में एसआईआर लागू करने की तैयारी की है। 10 सितंबर को हुई बैठक में आयोग ने साफ किया था कि आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए अखिल भारतीय मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान 2025 चलाया जाएगा। बैठक में मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से कहा गया था कि यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी पात्र मतदाता का नाम सूची से न कटे और कोई अपात्र नाम इसमें शामिल न हो।
गौरतलब है कि अगले साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि 2026 में असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में चुनाव होंगे। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह रुख देशभर में मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया पर सीधा असर डाल सकता है।




