उग्र हुए कुरमी, दिल्ली में प्रदर्शन कर कहा- एसटी में शामिल करो नहीं होगी आर्थिक नाकेबंदी

6th September 2025

नई दिल्ली

। 6 सितंबर 2025 को टोटेमिक कुड़मी/कुरमी (महतो) समाज के बैनर तले दिल्ली के जंतर-मंतर में झारखंड, बंगाल और उड़ीसा के कुड़मियोंने विशाल धरना-प्रदर्शन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाज के अगुआ शीतल ओहदार ने की। इसमें पश्चिम बंगाल के केंद्रीय अध्यक्ष राजेश महतो और उड़ीसा आदिवासी कुड़मी सेना के केंद्रीय अध्यक्ष दिव्य सिंह महंता समेत हजारों महिला-पुरुष शामिल हुए।

धरना-प्रदर्शन में कुड़मी जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता देने की मांग उठाई गई।

शीतल ओहदार ने संबोधन में कहा, कुड़मियोंके साथ पिछले 75 साल से अन्याय हो रहा है। 6 सितंबर 1950 को कॉरपोरेट घरानों के दबाव में हमें जनजातीय अधिकार से वंचित कर पिछड़ी जाति की श्रेणी में डाल दिया गया। जबकि 1901 और 1911 की जनगणना में कुड़मी एबोरिजिनल ट्राइब’, 1921 में एनीमिस्ट ट्राइबऔर 1931 में प्रिमिटिव ट्राइबकी श्रेणी में थे। आजादी के बाद अचानक हमें सूची से बाहर कर दिया गया क्योंकि हमारे इलाकों की ज़मीन खनिज संपदा से भरपूर है और उस पर पूंजीपतियों की नज़र रही।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि केंद्र सरकार ने कुड़मियोंको अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की प्रक्रिया तुरंत शुरू नहीं की, तो झारखंड में व्यापक चक्का जाम कर खनिज अयस्कों की आपूर्ति रोक दी जाएगी।

उड़ीसा के दिव्य सिंह महंता ने कहा कि भारत सरकार का आदेश SRO 510 (6 सितंबर 1950) और आदेश नं. 2-38-50 पब्लिक (5 अक्टूबर 1950) यह स्पष्ट करता है कि 1931 की जनगणना में प्रिमिटिव ट्राइब में शामिल समुदायों को ही राष्ट्रपति अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजाति घोषित कर सकते हैं। इसके बावजूद कुड़मियोंको अब तक अधिकार नहीं दिया गया।

बंगाल आदिवासी कुड़मी समाज के अध्यक्ष राजेश महतो ने अपील की कि सभी कुड़मी अपने अधिकार के प्रति सजग हों और उसी राजनीतिक दल को वोट दें जो उनकी मांग का समर्थन करे।

कार्यक्रम में पारंपरिक संस्कृति का प्रदर्शन भी हुआ। महिला-पुरुष अपने पारंपरिक परिधानों में छऊ, झुमर और पैका नृत्य करते नजर आए।

धरना को संबोधित करने वालों में अमित महतो, अशोक महतो, सखीचंद महतो, थानेश्वर महतो, सपन कुमार महतो, अधिवक्ता मिथिलेश महतो, राजेंद्र महतो, संजय लाल महतो, राजू महतो, गौरी शंकर महतो, सुषमा महतो, सोमा महतो, सचिया महतो और रामचंद्र महतो शामिल थे।

उड़ीसा से अशोक महतो, लालमोहन महतो, दुर्गा चरण महतो और मोहता समेत सैकड़ों लोग पहुंचे। वहीं सरस्वती देवी, सावित्री देवी, धर्म दयाल साहू, परमेश्वर महतो, नेपाल महतो, नंदलाल महतो, रघुनाथ महतो, हेमलाल महतो, प्रदीप महतो, ओम प्रकाश महतो, सोनालाल महतो, क्षेत्र मोहन महतो, शिशुपाल महतो, अघनू राम महतो, ललित मोहन महतो, महेंद्र महतो, सुधीर मंगलेश और कृटि भूषण महतो सहित हजारों लोग इस आंदोलन में शामिल रहे।

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