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संचार साथी ऐप को लेकर जारी विवाद के बीच केंद्र सरकार ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। सरकार ने कहा है कि यह ऐप किसी भी मोबाइल फोन में अनिवार्य नहीं है। उपयोगकर्ता इसे रखना चाहें तो रखें, नहीं तो इसे डिलीट भी कर सकते हैं। केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि ऐप को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम बेबुनियाद हैं।
दरअसल, बीते महीने दूरसंचार विभाग ने एक नोट जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि भारत में इस्तेमाल होने वाले फोन में संचार साथी ऐप अनिवार्य किया जाएगा। इसके बाद विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह ऐप जासूसी का उपकरण है और इसके ज़रिए यूज़र की निगरानी होगी।
इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए सिंधिया ने साफ कहा— “इसके आधार पर न कोई जासूसी है, न कोई कॉल मॉनिटरिंग। अगर आप चाहें तो इसे एक्टिवेट करें। न चाहें तो मत करें। रखना चाहें तो रखें, डिलीट करना चाहें तो डिलीट करें। कोई झंझट नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा कि यह पूरी तरह उपभोक्ता की सुरक्षा के लिए बनाया गया एक टूल है, जिसका उपयोग करना या न करना पूरी तरह यूज़र की मर्ज़ी है। “जब आप रजिस्टर ही नहीं करेंगे, तो ऐप एक्टिवेट कैसे होगा? यह अनिवार्य नहीं है। जिसे इस्तेमाल नहीं करना, वह बेझिझक डिलीट कर दे,” उन्होंने कहा।
विपक्ष पर तीखा हमला
सिंधिया ने विपक्ष के आरोपों को राजनीतिक शोर बताया। उन्होंने कहा, “जब विपक्ष के पास मुद्दा नहीं होता तो वह मुद्दा ढूंढ़ता है। विपक्ष की मदद करना हमारी जिम्मेदारी नहीं है। हमारी जिम्मेदारी उपभोक्ता की सुरक्षा है।”
उन्होंने बताया कि संचार साथी ऐप और पोर्टल लोगों को अपने मोबाइल की सुरक्षा खुद करने का एक आसान तरीका देता है।
ऐप की उपलब्धियां भी गिनाई
मंत्री ने ऐप और पोर्टल के परिणाम भी साझा किए,
- अब तक 20 करोड़ से ज़्यादा पोर्टल हिट्स,
- डेढ़ करोड़ से अधिक ऐप डाउनलोड,
- करीब 1.75 करोड़ फर्जी कनेक्शन डिएक्टिवेट,
- 20 लाख चोरी के फोन ट्रेस,
- 7.5 लाख फोन वापस उपभोक्ताओं को लौटाए गए,
- 21 लाख फोन यूज़र रिपोर्टिंग के आधार पर डिसकनेक्ट।
उन्होंने कहा कि यह अभियान सफल है क्योंकि लोग खुद इसमें भागीदारी कर रहे हैं और अपनी डिजिटल सुरक्षा को मजबूत बना रहे हैं।

