New Delhi
दिवाली के बाद दिल्ली एक बार फिर जहरीली धुंध की गिरफ्त में है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार दोपहर राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 357 तक पहुँच गया — जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। इस बीच, नीति आयोग के पूर्व सीईओ और भारत के G20 शेरपा अमिताभ कांत ने दिल्ली की बिगड़ती वायु गुणवत्ता पर गहरी चिंता जताई है।
कांत ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा ग्रीन पटाखों की अनुमति देने के निर्णय को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा, “कोर्ट ने पटाखे फोड़ने के अधिकार को नागरिकों के सांस लेने के मौलिक अधिकार से ऊपर रख दिया है।” उन्होंने इस फैसले को गैर-ज़िम्मेदाराना करार दिया और सख्त, लगातार कार्रवाई की मांग की।
कोर्ट का निर्देश, लेकिन पालन में भारी लापरवाही
सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में ग्रीन पटाखों की सीमित समय में अनुमति दी थी — सुबह 6-7 बजे और रात 8-10 बजे तक। हालांकि, दिल्ली-NCR के कई इलाकों में रातभर पटाखों की गूंज सुनाई दी, जिससे हवा की गुणवत्ता और बिगड़ गई।
अमिताभ कांत ने सुझाया समग्र एक्शन प्लान
अमिताभ कांत ने बताया कि दिल्ली के 38 में से 36 एयर मॉनिटरिंग स्टेशन ‘रेड जोन’ में हैं और कई स्थानों पर AQI 400 के पार जा चुका है। उन्होंने सुझाव दिया कि दिल्ली को एक ठोस और समग्र एक्शन प्लान की जरूरत है जिसमें निम्नलिखित शामिल हों:
- पराली जलाने, थर्मल पावर प्लांट्स और ईंट भट्ठों से होने वाले प्रदूषण पर कठोर नियंत्रण
- 2030 तक सभी वाहनों का पूर्ण इलेक्ट्रिक रूपांतरण
- निर्माण कार्यों पर सख्त निगरानी
- हरित, पैदल और सार्वजनिक परिवहन केंद्रित शहर की योजना
उन्होंने कहा कि जब लॉस एंजेलिस, बीजिंग और लंदन जैसे शहर प्रदूषण से निपट सकते हैं, तो दिल्ली क्यों नहीं?




