RANCHI
हजारीबाग वन भूमि घोटाला मामले में गिरफ्तार IAS अधिकारी विनय चौबे की जमानत याचिका पर हुई सुनवाई में एसीबी ने अदालत के सामने कई गंभीर और नए तथ्य रखे। एसीबी ने बताया कि विनय चौबे और सह-आरोपी विनय सिंह के परिजनों के बीच करीब 5 करोड़ रुपए का लेनदेन बैंकिंग चैनल के जरिए सामने आया है, जिसे जांच एजेंसी ने पूरी तरह अवैध कमाई का हिस्सा बताया है।
एसीबी ने कोर्ट को बताया कि 1 मार्च 2010 से 9 जुलाई 2015 के बीच विनय सिंह और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह की कंपनियों से विनय चौबे के साले—शिपीज और प्रियंका—के बैंक खातों में 3 करोड़ 16 लाख रुपए का ट्रांजेक्शन किया गया। इसके बाद 2019 से 2023 के बीच भी दोनों पक्षों के बीच 73 लाख रुपए से अधिक का वित्तीय लेनदेन सामने आया है। केवल वर्ष 2023 में ही तीन बड़े ट्रांजेक्शन दर्ज किए गए 14.25 लाख, 2.5 लाख और 76 हजार रुपए।
इन वित्तीय प्रवाहों और मनी ट्रेल को प्रस्तुत करते हुए एसीबी ने विनय चौबे की जमानत याचिका का कड़े शब्दों में विरोध किया। दलीलों पर विचार करते हुए कोर्ट ने माना कि एसीबी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज, बैंक एंट्री और अन्य साक्ष्य पहली नजर में चौबे की भूमिका को संदिग्ध बनाते हैं। इस आधार पर अदालत ने जमानत याचिका खारिज कर दी।
एसीबी ने इस घोटाले से जुड़े मामले में कांड संख्या 11/2025 दर्ज की है। इस केस में विनय चौबे के सहयोगी माने जाने वाले विनय सिंह, उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह, हजारीबाग के विधायक प्रदीप प्रसाद, तत्कालीन सीओ शैलेश कुमार, ब्रोकर विजय सिंह समेत 73 लोगों को नामजद किया गया है।

