हजारीबाग/रांची
एनटीपीसी की चट्टी-बरियातू परियोजना को लेकर झारखंड की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आया है। कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक अंबा प्रसाद ने सोशल मीडिया के ज़रिए एक मार्मिक संदेश जारी करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
उन्होंने आरोप लगाया है कि एनटीपीसी परियोजना में रैयतों की ज़मीन जबरन छीनी जा रही है और कंपनी की मनमानी के खिलाफ प्रशासन से अनुमति लेकर शांतिपूर्ण धरना आयोजित किया गया था।
अंबा प्रसाद ने इस पूरे घटनाक्रम के पीछे दक्षिण भारत के भाजपा सांसद सी. एम. रमेश और उनके भाई सी. एम. राजेश का नाम लिया है, जो ऋत्विक माइनिंग कंपनी के मालिक हैं। अंबा का कहना है कि वे लगातार उचित मुआवजा, रोजगार और विस्थापितों के अधिकारों को लेकर संघर्ष करती रही हैं, लेकिन कंपनी के मालिक द्वारा उन्हें धमकियां दी जा रही हैं।
उनके शब्दों में, “ऋत्विक कंपनी के मालिक सी. एम. राजेश द्वारा मुझे धमकी दी गयी कि मेरे पिता, पूर्व मंत्री योगेन्द्र साव को किसी भी कीमत में जेल भिजवा देंगे और मेरा राजनीतिक जीवन खत्म करवा देंगे। सवाल यह है कि इतना आत्मविश्वास के साथ वह यह स्टेटमेंट कैसे दे सकते हैं?”
अंबा ने आगे कहा. “अपने पैसे और प्रभाव पर उन्हें इतना भरोसा है कि पूरा सिस्टम को खरीद कर हमें बर्बाद कर देने की धमकी दे रहे हैं। क्या सचमुच झारखंड की सिस्टम में सभी बिकाऊ हैं?”
इस गंभीर आरोप के साथ उन्होंने यह भी बताया कि कंपनी की धमकी के अगले ही दिन भारी संख्या में पुलिस बल उनके घर पर पहुंचा और उनके निजी गार्ड, ड्राइवर सहित लगभग 400 की संख्या में रैयतों को गिरफ्तार कर लिया गया।
“थाना ले जाकर उन्हें बेरहमी से पीटा जा रहा है। हमारे राज्य की खनिज सम्पदा एवं जमीन को लूटने में हमारे राज्य के ही अधिकारी माइनिंग कंपनी के मालिकों के आदेश का पालन कर रहे हैं।”
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या झारखंड सरकार का “अबुआ सरकार, जल-जंगल-जमीन” का नारा सिर्फ कागज़ों तक सीमित है? अंत में अंबा प्रसाद ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस पूरे मामले में “स्वतः संज्ञान” लेने की अपील की और स्थिति की गंभीरता को समझने की बात कही। इस बयान के सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री इस पर क्या रुख अपनाते हैं।




