द फॉलोअप डेस्क
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में गुरुवार को कुदरत का कहर एक बार फिर लोगों पर टूटा। मचैल माता मंदिर के पास चाशोती इलाके में बादल फटने की घटना में अब तक 33 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 120 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। मृतकों में CISF के दो जवान भी शामिल हैं।
स्थानीय प्रशासन के अनुसार, हादसे की सूचना सुबह लगभग 11:30 बजे मिली, जिसके तुरंत बाद एसडीआरएफ, स्थानीय पुलिस और प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंचीं। एनडीआरएफ की टीम को भी घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया गया है। सेना और वायुसेना की टीमें भी रेस्क्यू अभियान में जुटी हुई हैं।
घटना के बाद से पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है। मचैल माता यात्रा के दौरान यह हादसा हुआ, जिसमें हर साल लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। कई गांवों और मंदिर परिसर को भारी नुकसान पहुंचा है।
इस भीषण त्रासदी पर प्रतिक्रिया देते हुए जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाएं आम होती जा रही हैं। आपने यह उत्तराखंड में देखा, फिर रामबन में और अब मचैल माता यात्रा मार्ग पर। हम उम्मीद करते हैं कि वायुसेना के हेलीकॉप्टर वहां पहुंचकर घायलों को निकाल सकें।”
वहीं, जम्मू के डिविजनल कमिश्नर रमेश कुमार ने जानकारी दी कि “रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है और स्थिति पर करीबी नजर रखी जा रही है।”
किश्तवाड़ की इस प्राकृतिक आपदा ने एक बार फिर पर्वतीय इलाकों में सुरक्षा व्यवस्थाओं और आपदा प्रबंधन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन की ओर से राहत एवं बचाव कार्य तेज़ी से चलाया जा रहा है, लेकिन खराब मौसम और दुर्गम रास्तों के कारण चुनौतियां बनी हुई हैं।




