बिहार में नामांकन रद्द होने की बाढ़! उम्मीदवारों से क्यों हो रही चूक पर चूक?

22nd October 2025

Patna

बिहार विधानसभा चुनाव के बीच लगातार नामांकन रद्द होने की घटनाएं सुर्खियों में हैं। मोहनिया सीट से महागठबंधन की प्रत्याशी श्वेता सुमन का नामांकन रद्द कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि वह उत्तर प्रदेश की निवासी हैं। दूसरी ओर, वाल्मिकीनगर सीट से जन सुराज के एक उम्मीदवार, जो शिक्षक की नौकरी छोड़कर मैदान में उतरे थे, उनका भी पर्चा खारिज कर दिया गया है।

इसी कड़ी में सुगौली से राजद विधायक शशि भूषण सिंह का नामांकन भी एक मामूली गलती की वजह से रद्द हो गया। उन्होंने वीआईपी के टिकट पर नामांकन भरा था। लगातार हो रहे इन मामलों से बड़ा सवाल उठता है—नामांकन रद्द आखिर किन परिस्थितियों में होता है? क्या ये सब तकनीकी लापरवाही का नतीजा है या कुछ और?

छोटी-छोटी गलतियों पर नहीं रुकती उम्मीदवारी

चुनाव प्रक्रिया में नामांकन एक निर्णायक चरण होता है। लेकिन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 36(4) के अनुसार, अगर कोई गलती मामूली या तकनीकी है, तो सिर्फ उसके आधार पर नामांकन खारिज नहीं किया जा सकता। जैसे कि:

  • नाम या पते की वर्तनी में हल्की गलती
  • पहचान स्पष्ट होने के बावजूद नाम में टाइपो
  • चुनाव चिह्न संबंधी जानकारी अधूरी होना
  • ऐसी भूलें रिटर्निंग ऑफिसर के लिए नामांकन रद्द करने का वैध कारण नहीं बनतीं।
  • नामांकन रद्द होने के कानूनी कारण
  • हालांकि कुछ ठोस कानूनी आधार हैं जिन पर नामांकन वैध रूप से रद्द किया जा सकता है:
  • उम्मीदवार चुनाव लड़ने की योग्यता नहीं रखता
  • जरूरी दस्तावेज या हलफनामा समय पर नहीं दिए गए
  • प्रस्तावकों की संख्या पूरी नहीं या हस्ताक्षर फर्जी हैं
  • आरक्षित सीट पर गलत वर्ग से नामांकन
  • मतदाता सूची की प्रमाणित प्रति नहीं जोड़ी
  • सुरक्षा राशि जमा नहीं की गई
  • इन कारणों से नामांकन रद्द करना पूरी तरह वैध माना जाता है।

उम्मीदवार के पास होता है जवाब देने का अधिकार

अगर किसी नामांकन पर आपत्ति दर्ज होती है, तो रिटर्निंग ऑफिसर उम्मीदवार को जवाब देने का मौका देता है। जरूरत पड़ने पर एक दिन का समय (adjournment) भी दिया जा सकता है। यदि पर्चा खारिज होता है, तो इसकी प्रमाणित प्रति मुफ्त में उम्मीदवार को दी जाती है।

क्या सिर्फ उस राज्य का निवासी होना जरूरी है?

चुनाव लड़ने के लिए जरूरी नहीं कि उम्मीदवार संबंधित राज्य का स्थायी निवासी हो, लेकिन उसे उस विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में नाम दर्शाना जरूरी होता है—या फिर नामांकन के साथ उस सूची की प्रमाणित प्रति संलग्न करनी होती है।

चुनाव लड़ने की तैयारी में इन बातों का रखें ध्यान

  • नामांकन पत्र और सभी दस्तावेज सही प्रारूप में भरें
  • सभी कॉलम भरें, कोई भी जानकारी न छोड़ें
  • आवश्यक शपथ-पत्र समय पर संलग्न करें
  • अपने और प्रस्तावकों के दस्तावेज सत्यापित रखें
  • मतदाता सूची में नाम होने का प्रमाण रखें

कुल मिलाकर नामांकन रद्द होना एक गंभीर प्रक्रिया है जिसे सिर्फ स्पष्ट और कानूनी आधारों पर ही अमल में लाया जा सकता है। तकनीकी गलतियों से बचना जरूरी है, लेकिन कानून यह भी सुनिश्चित करता है कि किसी योग्य उम्मीदवार को केवल छोटी चूक की वजह से चुनाव से बाहर न किया जाए।

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