लेह, लद्दाख
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग अब उग्र रूप ले चुकी है। बुधवार को लेह की सड़कों पर सैकड़ों की संख्या में युवा, विशेषकर Gen Z प्रदर्शनकारियों ने उतरकर सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। हालात तब बिगड़े जब गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ियों और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के स्थानीय कार्यालय में आग लगा दी।
हिंसक मोड़ ने लिया आंदोलन ने
अब तक शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा आंदोलन बुधवार को हिंसक हो गया। पुलिस की कई गाड़ियां जलाई गईं और बीजेपी कार्यालय को भी प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया। आंदोलनकारियों का कहना है कि जब तक लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।
सोनम वांगचुक ने अनशन तोड़ा, की शांति की अपील
सामाजिक कार्यकर्ता और लद्दाख आंदोलन का चेहरा बने सोनम वांगचुक ने 15 दिनों से चल रहा अनशन बुधवार को समाप्त कर दिया। उन्होंने हिंसा पर दुख जताते हुए कहा, “हिंसा हमारे लक्ष्य को नुकसान पहुंचा सकती है।” उन्होंने सभी प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की।
महबूबा मुफ्ती का हमला: ‘लोगों का सब्र टूट चुका है’
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने हिंसक प्रदर्शन का वीडियो साझा करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, “यह कश्मीर नहीं, लद्दाख है। लेह, जो शांतिपूर्ण आंदोलनों के लिए जाना जाता था, अब हिंसक रास्ता अपना रहा है।”
महबूबा मुफ्ती ने आगे कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार यह गंभीरता से सोचे कि 2019 के बाद से वास्तव में क्या बदला है। “लोग खुद को ठगा हुआ और असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। सरकार को चाहिए कि वह असंतोष की जड़ तक पहुंचे और पारदर्शी ढंग से समाधान निकाले।”
अनुच्छेद 370 हटने के बाद से उठती रही है मांग
गौरतलब है कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा कर उसे और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। तभी से दोनों ही क्षेत्रों में पूर्ण राज्य की मांग लगातार उठती रही है। इसी दिन, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी टिप्पणी करते हुए कहा कि, “कश्मीर में यह धारणा बन चुकी है कि राज्य का दर्जा अब बहाल नहीं होगा, क्योंकि बीजेपी वहां चुनाव हार चुकी है।”




