धनबाद के केंदुआडीह में गैस रिसाव के 15वें दिन राहत की पहल, बोरहोल प्रक्रिया शुरू

DHANBAD

केंदुआडीह इलाके में जहरीली कार्बन मोनोऑक्साइड गैस के रिसाव की घटना के 15वें दिन प्रभावित लोगों को राहत की उम्मीद दिखाई देने लगी है। केंद्र और राज्य सरकार की जांच एजेंसियों द्वारा क्षेत्र को पहले ही खतरनाक घोषित किया जा चुका था और घरों की दीवारों पर चेतावनी पोस्टर लगाए गए थे। गैस रिसाव की इस घटना में अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग बीमार पड़े थे। दहशत के कारण बड़ी संख्या में लोग राहत शिविरों में चले गए थे और बच्चों को रिश्तेदारों के घर भेज दिया गया था।

मंगलवार से केंदुआडीह थाना के समीप बोरहोल की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह कार्य मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (एमईसीएल) द्वारा किया जा रहा है। मौके पर सीएमपीडीआई, आईआईटी-आईएसएम, पीएमआरसी और सिम्फर के विशेषज्ञ मौजूद हैं। बोरहोल स्थल के चारों ओर सीआईएसएफ की तैनाती की गई है और सुरक्षा कारणों से आम लोगों की आवाजाही पर रोक लगाई गई है।

बोरहोल के माध्यम से जमीन के अंदर लगी आग और गैसों की स्थिति का वैज्ञानिक आकलन किया जाएगा। इसके बाद नाइट्रोजन गैस की फिलिंग की जाएगी, जिससे आग के प्रभाव को कम किया जा सके और गैस उत्सर्जन पर नियंत्रण पाया जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रक्रिया से गैस रिसाव रुकने की प्रबल संभावना है। नाइट्रोजन गैस पहले ही मंगवा ली गई है और पूरी कार्रवाई विशेषज्ञों की निगरानी में की जा रही है।

पुटकी बलिहारी एरिया के जीएम जेके मेहता ने बताया कि वैज्ञानिक अध्ययन लगातार जारी है। बोरहोल की संख्या स्थिति के आकलन के बाद तय की जाएगी और आवश्यकता पड़ने पर एक से अधिक बोरहोल किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि करीब 14 किलोलीटर नाइट्रोजन गैस की व्यवस्था की गई है।

पीएमआरसी के चीफ साइंटिस्ट प्रो. नागेश्वर सहाय ने कहा कि फिलहाल गैस की मात्रा में कुछ कमी आई है। बोरहोल के बाद गैस के सैंपल लेकर जमीन के अंदर की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जाएगा और उसी आधार पर नाइट्रोजन गैस की फिलिंग कर आग को ठंडा किया जाएगा। सभी विशेषज्ञ एजेंसियां मिलकर गैस रिसाव को पूरी तरह रोकने की दिशा में काम कर रही हैं।

स्थानीय पार्षद कृष्णा राउत ने बोरहोल और नाइट्रोजन फिलिंग की शुरुआत को केंदुआडीह के लोगों की जीत बताया। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों के आंदोलन के दबाव में प्रशासन और बीसीसीएल प्रबंधन को यह कदम उठाना पड़ा। पहले लोगों को डराकर विस्थापन की कोशिश की जा रही थी, लेकिन अब जनता की मांग के आगे प्रशासन को झुकना पड़ा है और विस्थापन पर फिलहाल कोई चर्चा नहीं होगी।

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