युवा लेखक डॉ. साबिर अंसारी के उपन्यास ‘ख्वाब या हकीकत?’ का विमोचन, मंत्री हफीजुल बोले- ग्रामीण समस्याओं का समाधान सच्चा रोजगार


RANCHI
मौलाना आज़ाद ह्यूमेन इनिशिएटिव (माही) के तत्वावधान में आयोजित एक भव्य साहित्यिक समारोह में युवा लेखक और मारवाड़ी कॉलेज, रांची के उर्दू विभाग से जुड़े डॉ. मोहम्मद साबिर अंसारी के दूसरे उपन्यास ‘ख्वाब या हकीकत?’ का विमोचन किया गया। कार्यक्रम गुलशन मैरेज हॉल, कर्बला चौक स्थित ख़लील अहमद मंच पर संपन्न हुआ, जिसमें सामाजिक, शैक्षणिक और साहित्यिक जगत की कई प्रमुख हस्तियाँ शामिल हुईं।

गोड्डा जिले के रानीडीह गाँव के मूल निवासी डॉ. साबिर अंसारी के इस उपन्यास में पिछड़े वर्गों, किसानों, मज़दूरों और विशेष रूप से शोधार्थियों की समस्याओं के साथ मौजूदा शैक्षणिक ढांचे की जमीनी सच्चाइयों को उकेरा गया है।

कार्यक्रम की शुरुआत मरियम फ़ातिमा द्वारा पवित्र क़ुरान के पाठ से हुई। इसके बाद रेहाना परवीन ने नज़्म प्रस्तुत की। लेखक डॉ. साबिर अंसारी ने स्वागत भाषण में अपने उपन्यास की रचना-प्रक्रिया, उद्देश्य और सामाजिक संदर्भों पर प्रकाश डाला।

ग्रामीण संघर्ष और रोजगार पर चर्चा

प्रथम सत्र में उपन्यास का विधिवत विमोचन किया गया। इस अवसर पर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि ख्वाब या हकीकत?’ ग्रामीण भारत की वास्तविक चुनौतियों को सामने लाता है। “सच्चा रोजगार केवल सरकारी नौकरी तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में अवसरों का सृजन करना ही असली समाधान है, ताकि युवा अपनी मिट्टी से जुड़े रह सकें,” उन्होंने कहा।

माही के संयोजक एवं झारखंड वक्फ बोर्ड के सदस्य इबरार अहमद ने अध्यक्षीय संबोधन में उपन्यास को “समाज का आईना” बताया। उन्होंने कहा कि यह रचना ग्रामीण जीवन, शिक्षा व्यवस्था और शोधार्थियों के संघर्षों को बेहद संवेदनशीलता के साथ सामने लाती है।

उपन्यास एक सामाजिक दस्तावेज

द्वितीय सत्र में डॉ. साबिर अंसारी के दोनों उपन्यासों—दीवार के उस पार’ और ख्वाब या हकीकत?’—पर गहन साहित्यिक चर्चा हुई। रांची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) धर्मेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि समाज केवल बुरे लोगों से नहीं, बल्कि अच्छे लोगों की निष्क्रियता से भी बिगड़ता है। उन्होंने इस रचना को सामाजिक सजगता और जागरूकता का आह्वान बताया।

मारवाड़ी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार ने लेखक की लेखनी की सराहना करते हुए कहा कि डॉ. साबिर अंसारी ने झारखंडी समाज और उसकी खुशबू को साहित्य के माध्यम से व्यापक फलक पर प्रस्तुत किया है।

कार्यक्रम का संचालन प्रथम सत्र में शायर सोहैल सईद और द्वितीय सत्र में एडिटर्स पोस्ट के चीफ एडिटर मुस्तकीम आलम ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन रिसर्च स्कॉलर शाहिना परवीन ने किया। समारोह में शिक्षा, साहित्य और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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