कैबिनेट की मंजूरी के बाद संसद में जाएगा बिल, नाम और नियमों में होगा संशोधन
NEW DELHI
केंद्र सरकार ने ग्रामीण रोजगार से जुड़ी सबसे बड़ी योजना मनरेगा को नए स्वरूप में आगे बढ़ाने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का नाम बदलने से संबंधित विधेयक को मंजूरी दी गई। इसके बाद अब इस योजना को ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ के नाम से जाना जाएगा।
सरकार का कहना है कि यह बदलाव ग्रामीण रोजगार और विकास को नई दिशा देने के उद्देश्य से किया जा रहा है। योजना के तहत पहले की तरह ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्य पंचायत स्तर पर काम की मांग कर सकेंगे। तालाब निर्माण, सड़क मरम्मत, नाला खुदाई, बागवानी, मिट्टी से जुड़े कार्य और अन्य सामुदायिक कामों के जरिए ग्रामीण इलाकों में रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। संरचना में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है, बल्कि नाम और काम के दिनों में संशोधन किया गया है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती महंगाई और रोजगार की सीमित उपलब्धता को देखते हुए काम के दिनों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया गया है। अब एक वित्तीय वर्ष में 125 दिन तक रोजगार देने का प्रावधान किया गया है। सरकार का मानना है कि इससे गांवों में रहने वाले परिवारों को अतिरिक्त आमदनी मिलेगी और रोजगार की तलाश में होने वाला पलायन भी कम होगा।
नाम बदलने को लेकर सरकार का तर्क है कि ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज और आत्मनिर्भर गांव की सोच को दर्शाती है। गांधी के विचारों को ग्रामीण रोजगार से जोड़ते हुए योजना को वैचारिक रूप से और मजबूत किया गया है।
कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब यह विधेयक संसद में पेश किया जाएगा। संसद से पास होने के बाद कानून में आवश्यक संशोधन लागू किए जाएंगे। अधिकारियों के अनुसार, नियमों में भी बदलाव किए जाएंगे, ताकि नए नाम और बढ़े हुए काम के दिनों को औपचारिक रूप से लागू किया जा सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि अतिरिक्त 25 दिन का रोजगार ग्रामीण परिवारों के लिए बड़ी राहत साबित हो सकता है। इससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी, बल्कि गांवों में नकदी का प्रवाह भी मजबूत होगा, जिसका असर स्थानीय बाजार और छोटे व्यवसायों पर भी देखने को मिलेगा।

