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बिहार में जारी बुलडोजर कार्रवाई को लेकर केंद्रीय मंत्री और HAM प्रमुख जीतनराम मांझी ने सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि अतिक्रमण हटाना जरूरी है, लेकिन कार्रवाई का पहला निशाना गरीब और छोटे कारोबारी बन रहे हैं, जबकि बड़े स्तर पर सरकारी जमीन पर कब्जा किए लोगों पर कोई ठोस कदम नहीं दिख रहा।
बुलडोजर एक्शन पर मांझी की आपत्ति
मांझी ने कहा कि नोटिस देकर अतिक्रमण हटाना गलत नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए लोगों को उजाड़ना उचित नहीं है। उनके मुताबिक, सरकार दावा कर रही है कि विस्थापितों को बसाने की तैयारी चल रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर बुलडोजर का असर सबसे अधिक उन लोगों पर पड़ रहा है, जो सड़कों के किनारे छोटी दुकानों के सहारे अपना जीवन चलाते हैं।
“पहले मॉल और बहुमंजिला इमारतें गिरें”
उन्होंने स्पष्ट कहा कि कई जगह सरकारी जमीन पर मॉल खड़े हैं, चार–पांच मंज़िल की अवैध इमारतें बनी हुई हैं—कार्रवाई की शुरुआत वहीं से होनी चाहिए थी। “अगर बड़े कब्जाधारियों पर बुलडोजर चलता, तो उसके बाद छोटी दुकानों वाले खुद हट जाते, कोई विरोध भी नहीं होता,” मांझी ने कहा।
तेजस्वी यादव पर भी साधा निशाना
विधान मंडल के सत्र में तेजस्वी यादव की गैरहाज़िरी पर भी मांझी ने गंभीर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जनता ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी थी, ऐसे में सदन से दूरी बनाना उचित नहीं है। मांझी ने आरोप लगाया कि “शर्म और झिझक की वजह से ही तेजस्वी सत्र में नहीं आए होंगे।” मांझी ने कहा कि सरकार की कार्रवाई तभी न्यायसंगत मानी जाएगी, जब वह पहले भारी-भरकम अतिक्रमण और बड़े अवैध निर्माण पर प्रहार करे। उसके बाद गरीब परिवारों और छोटे व्यवसायियों पर कार्रवाई हो तो समाज में संदेश भी सकारात्मक जाएगा।

