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बिहार की 18वीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेजस्वी यादव का चयन शनिवार को औपचारिक रूप से तय कर दिया गया। एक पोलो रोड स्थित आवास पर हुई महागठबंधन के विधायक दल की बैठक में राजद, कांग्रेस और वाम दलों के सभी विधायकों ने तेजस्वी के नाम पर एकमत सहमति दी। बैठक में साफ कहा गया कि भले ही विपक्ष की संख्या कम है, लेकिन जनता से जुड़े मुद्दों पर उनकी आवाज और अधिक बुलंद होगी।
एक दिसंबर से शुरू हो रहे विधानमंडल सत्र से पहले इस महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन हुआ। तेजस्वी यादव सुबह दिल्ली से पटना पहुंचे और बिना किसी बयान के सीधे बैठक स्थल रवाना हो गए। एयरपोर्ट पर पत्रकारों ने उनसे कई सवाल पूछे, लेकिन उन्होंने टिप्पणी करने से परहेज किया।
राजद–कांग्रेस के बीच चुनावी हार को लेकर चल रही तकरार के बीच तेजस्वी यादव को एक बार फिर विपक्ष की बागडोर मिल गई है। महागठबंधन के सभी नेताओं ने यह माना कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में विपक्ष को संयुक्त स्वर में आगे बढ़ना होगा।
इस बार विधानसभा चुनाव में पूरा विपक्ष केवल 35 सीटों तक सिमट गया है। इनमें 25 विधायक राजद, 6 कांग्रेस और 4 वाम दलों के हैं। इसके उलट एनडीए के पास 202 विधायकों का मजबूत बहुमत है। इसके बावजूद बैठक में जोर दिया गया कि विपक्ष सड़क से लेकर सदन तक जनता की बात मजबूती से उठाएगा और सरकार की नीतियों की कड़ी समीक्षा करेगा।
माले विधायक अजय कुमार ने स्पष्ट किया कि विपक्ष एकजुट होकर सरकार की गलत नीतियों का विरोध करेगा और रचनात्मक तरीके से अपनी बात रखेगा। वहीं राजद के भाई वीरेंद्र ने कहा कि संख्या भले ही कम हो, लेकिन विपक्ष का मनोबल बिल्कुल कमजोर नहीं है और सरकार को हर महत्वपूर्ण मुद्दे पर जवाब देना होगा।

