Ranchi
झारखंड में कार्बन क्रेडिट आधारित योजनाओं को जमीन पर तेजी से लागू करने के लिए वन विभाग ने कई महत्वपूर्ण नियमों में बदलाव किए हैं। हरित आवरण बढ़ाने और किसानों की आय को नई दिशा देने वाली इन परियोजनाओं को लेकर सरकार अब मिशन मोड में काम कर रही है।
नई व्यवस्थाओं के तहत गांवों में बड़े स्तर पर पौधारोपण और टिकाऊ खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और इसी आधार पर कार्बन क्रेडिट तैयार होते हैं, जिन्हें कंपनियों को बेचकर आय अर्जित की जा सकती है। इसका सीधा फायदा बिरसा हरित ग्राम योजना (BHGY) से जुड़े किसानों को मिलेगा, जिनकी अतिरिक्त आय का रास्ता साफ होगा।
सरकार ने हाल में तकनीकी एजेंसी के चयन के लिए निविदा जारी की थी। इसके बाद CAMPA द्वारा प्रस्तावित परियोजनाओं के आकलन से जुड़ी निविदा में कई बदलाव किए गए हैं, जो प्री-बिड क्वेरी को देखते हुए तैयार किए गए हैं।
कंसोर्टियम और ज्वाइंट वेंचर को हरी झंडी
पहले जहां कंसोर्टियम या ज्वाइंट वेंचर की अनुमति नहीं थी, अब विभाग ने दोनों को मान्यता दे दी है। शर्त यही होगी कि लीड पार्टनर सभी योग्यताओं को पूरा करे और पूरे प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी संभाले। इसके लिए औपचारिक MoU अनिवार्य होगा। इससे अधिक अनुभवी संस्थाओं की भागीदारी बढ़ने की संभावना है।
अनुभव के मानकों में राहत
कार्बन क्रेडिट क्षेत्र में अनुभव की शर्तों में भी ढील दी गई है। अब न्यूनतम दो वर्ष का अनुभव काफी माना जाएगा। पहले निर्धारित अवधि में कम से कम पांच पंजीकृत परियोजनाओं की पूर्व शर्त थी, जिसे अब आसान बनाया गया है।
निविदा जमा करने की तिथि बढ़ी
बिडर संस्थानों के अनुरोध पर विभाग ने निविदा की अंतिम तिथि 11 दिसंबर कर दी है। तकनीकी बिड 12 दिसंबर को खोली जाएगी। इससे इच्छुक एजेंसियों को तैयारी का अतिरिक्त समय मिल जाएगा।
नए संशोधनों के बाद उम्मीद है कि राज्य में कार्बन क्रेडिट से जुड़े प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ेंगे, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।

