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श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर पीएम नरेंद्र मोदी और आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को ध्वजारोहण कर मंदिर निर्माण पूर्ण होने का प्रतीकात्मक संदेश दिया। इस मौके पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। समारोह के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सभास्थल को संबोधित करते हुए देश के भविष्य, सांस्कृतिक चेतना और “विकसित भारत” के संकल्प पर विस्तृत बातें कहीं।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत को आगे बढ़ाने के लिए केवल वर्तमान नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को ध्यान में रखना होगा। उन्होंने कहा, “हमें आने वाले 1000 वर्षों के लिए भारत की नींव मजबूत करनी है। जो लोग सिर्फ आज की सोचते हैं, वे आने वाली पीढ़ियों के साथ अन्याय करते हैं। यह देश तब भी था जब हम नहीं थे, और तब भी रहेगा जब हम नहीं होंगे।”
श्रीराम के आदर्शों को जोड़ते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राम समाज को भावना से जोड़ते हैं, भेदभाव से नहीं। “राम के लिए भक्ति महत्वपूर्ण है, वंश नहीं। वे सहयोग को महत्व देते हैं, शक्ति को नहीं। पिछले 11 वर्षों में समाज के हर वर्ग—महिलाओं, दलितों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों, आदिवासियों, किसानों, युवाओं—को विकास के केंद्र में रखा गया है,” उन्होंने कहा।
देश के भविष्य को लेकर प्रधानमंत्री ने 2047 तक एक विकसित भारत के निर्माण का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “अगर हमें भारत को 2047 तक विकसित बनाना है, तो हमें अपने भीतर राम के मूल्यों को जगाना होगा। आज से बेहतर संकल्प का कोई दिन नहीं।”
धर्मध्वज पर अंकित कोविदार वृक्ष के महत्व का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह हमारे सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है। “जब हम अपनी जड़ों से कट जाते हैं, तब हमारी महिमा इतिहास के पन्नों में कैद हो जाती है। कोविदार का पुनर्स्थापन हमारी पहचान के पुनर्जीवन का संकेत है,” उन्होंने कहा।
प्रधानमंत्री ने मैकाले की शिक्षानीति का उल्लेख करते हुए कहा कि 1835 में बोए गए ‘गुलामी के बीज’ ने भारतीय मानसिकता को कमजोर किया। “दुर्भाग्य यह रहा कि मैकाले का प्रभाव व्यापक रहा। आज़ादी तो मिल गई, पर हीनभावना खत्म नहीं हुई। हमें यह सोच दी गई कि बाहर की हर चीज अच्छी है और हमारी चीजों में कमी है। लोकतंत्र को भी हमने बाहर से लिया माना, जबकि भारत तो लोकतंत्र की जननी है। लोकतंत्र हमारे DNA में है,” उन्होंने कहा।
पीएम मोदी ने अगले 10 वर्षों को “गुलामी की मानसिकता से मुक्ति” का लक्ष्य बताते हुए कहा कि देश तभी प्रगति करेगा जब अपनी विरासत पर गर्व करेगा और आत्मविश्वास से आगे बढ़ेगा।

